By नीरज कुमार दुबे | Dec 11, 2024
34 वर्षीय इंजीनियर अतुल सुभाष की मौत के बाद सोशल मीडिया पर हंगामा मचा हुआ है। अतुल ने अपनी आत्महत्या के जो कारण बताये हैं उससे सवाल उठ रहा है कि आखिर झूठे मुकदमे दायर करने वालों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जाती? सोशल मीडिया पर लोग अतुल के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं लेकिन सवाल उठता है कि क्या सरकार इस घटना से कोई सबक लेगी या हमारे न्यायालय इस मामले का स्वतः संज्ञान लेंगे? इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर लोग तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं व्यक्त कर रहे हैं। कोई अतुल की पत्नी को नौकरी से निकालने की मांग कर रहा है तो कोई कह रहा है कि अतुल के परिवार की मदद की जाये। लेकिन इस बात की चिंता कोई नहीं कर रहा है कि आगे कोई और अतुल सुभाष आत्महत्या नहीं कर पाये इसके लिए क्या करना होगा।
इस बारे में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि घटिया कानून के कारण एक और परिवार बर्बाद हो गया। उन्होंने सही ही पूछा है कि झूठी शिकायत, झूठी FIR, झूठी गवाही, झूठी जाँच, झूठा मुकदमा और झूठा हलफनामा दाखिल करने को गंभीर अपराध कब घोषित किया जाएगा? झूठ पकड़ने के लिए नार्को पॉलीग्राफ ब्रेनमैपिंग कानून कब बनेगा?