By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 08, 2021
नयी दिल्ली। संसद की एक समिति ने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से कोविड-19 जैसी महामारी की स्थिति के बीच रोजगार के नुकसान की सही तस्वीर पेश करने को कहा है। समिति ने मंत्रालय से कहा है कि वह विश्वसनीय एजेंसियों के आंकड़ों और अध्ययन का कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के आंकड़ों मिलान करे जिससे देश में नौकरियों के नुकसान की सही तस्वीर सामने आ सके। श्रम पर संसद की स्थायी समिति की पिछले सप्ताह संसद में पेश 25वीं रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी की वजह से आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ने से देश में रोजगार पर असर पड़ा है। इस दौरान केंद्र के अलावा राज्यों द्वारा लगाए गए अंकुशों से आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्रालय को ईपीएफओ के आंकड़ों के साथ प्रतिष्ठित और विश्वसनीय एजेंसियों द्वारा जुटाए आंकड़ों पर भी गौर करना चाहिए। तभी रोजगार को लेकर हुए नुकसान की सही तस्वीर सामने आ पाएगी। समिति ने इस बात पर हैरानी जताई कि कोविड-19 महामारी के बावजूद 2020-21 में शुद्ध रूप से पेरोल आंकड़ों में 77.08 लाख की वृद्धि हुई। यह 2019-20 के आंकड़े 78.58 लाख के लगभग बराबर है। समिति ने कहा कि बीते वित्त वर्ष में महामारी के बावजूद अप्रैल और मई को छोड़कर प्रत्येक महीने में पेरोल आंकड़ों में शुद्ध रूप से बढ़ोतरी हुई। हालांकि, समिति का ध्यान अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के अध्ययन की ओर दिलाया गया है।
इस अध्ययन के अनुसार, 2019 के अंत से 2020 के अंत तक संगठित क्षेत्र के करीब 50 प्रतिशत वेतनभोगी कर्मचारी अब असंगठित क्षेत्र की ओर आ चुके हैं। इनमें से कुछ ने स्व रोजगार शुरू किया है तो कुछ असंगठित क्षेत्र में नौकरी कर रहे हैं।