By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 16, 2017
लोकसभा में आज विभिन्न दलों के सदस्यों ने देशभर में किसानों की खुदकुशी के मामलों पर चिंता जताते हुए इस पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत बताते हुए मांग उठाई कि पूरे देश में किसानों पर बकाया कर्ज को माफ किया जाना चाहिए। वर्ष 2017-18 के लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर बुधवार को शुरू हुई चर्चा को आगे बढ़ाते हुए टीआरएस के कोंडा विश्वेश्वर रेड्डी ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने की पहल की जा रही है और इस दिशा में पिछले वर्ष अच्छे मानसून से कृषि क्षेत्र की स्थिति बेहतर हुई है। पहली बार कृषि विकास दर में अच्छी वृद्धि दर्ज की गई है और आने वाले समय में कृषि विकास दर के और बेहतर होने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि बीमा अच्छी पहल है और इसमें गांव को इकाई बना कर इसे मजबूती प्रदान की गई है। लेकिन सरकार को एक फसल की खेती करने वाले किसान और बहु फसली खेती करने वाले किसानों में अंतर करना चाहिए। ऐसा करने से किसानों की आत्महत्या के मामलों को कम किया जा सकता है क्योंकि सबसे अधिक प्रभावित एक फसली खेती करने वाला किसान होता है। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के एम राजमोहन रेड्डी ने आज कहा कि उनके राज्य आंध्र प्रदेश में सूखे के कारण किसान बुरी तरह प्रभावित हैं और उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही। उन्होंने कहा कि भाजपा के एजेंडे में उत्तर प्रदेश में किसानों की कर्ज माफी की घोषणा की गयी है। दक्षिण के सूखा प्रभावित राज्यों में भी कम से कम पीड़ित किसानों को पूरी तरह कर्ज माफी दी जानी चाहिए।
राकांपा के धनंजय महाडिक ने कहा कि इस बार के बजट में कृषि ऋण के लिए 10 लाख करोड़ रुपये और सूक्ष्म सिंचाई के लिए एक लाख करोड़ रुपये रखे गये हैं लेकिन इनसे किसान और कर्ज में डूबेंगे। उन्होंने कहा कि कृषि संबंधी हमारी नीतियों की वजह से किसानों की आत्महत्या के मामले सामने आते हैं। किसानों को खाद आदि की सब्सिडी का लाभ नहीं मिलता है। किसान चाहता है कि जब उसकी फसल संकट में हो तो सरकार उसके पीछे हिमालय की तरह खड़ी रहे। उन्होंने कहा कि अगर किसान को बचाना है तो पूरे देश में किसानों का कर्ज माफ किया जाए।
कांग्रेस के निनांग एरिंग ने कहा कि एक तरफ सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती है वहीं देश के विभिन्न राज्यों से किसानों की खुदकुशी के मामले आते हैं। उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों पर विशेष ध्यान देने की मांग की। एरिंग ने कहा कि सारे राज्यों के किसानों का कर्ज माफ किया जाना चाहिए। भाजपा के सुरेश अंगड़ी ने कहा कि खेती में संकट को देखते हुए किसान इस क्षेत्र से दूर होता जा रहा है जो चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि कृषि और बुनकर दो ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद किसानों को उनके उत्पादों के बेहतर मूल्य मिल रहे हैं। किसानों को कम मूल्य पर यूरिया उपलब्ध कराना हमारी सरकार की उपलब्धता है।
अकाली दल के प्रेमसिंह चंदूमाजरा ने कहा कि देश में 70 प्रतिशत लोग खेती पर निर्भर हैं और उसी तरह खेती के लिए आवंटन भी अधिक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस बार के बजट में सरकार द्वारा खेती को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखना प्रशंसनीय है लेकिन पांच साल में किसानों की आय दोगुनी करने के वादे पर सरकार को स्पष्टता देनी चाहिए। चंदूमाजरा ने किसानों को सीधे सब्सिडी देने की मांग करते हुए कहा कि उनके नाम पर जारी होने वाली सब्सिडी उद्योगपति ले जाते हैं। उन्होंने कहा कि खेती और किसानों को बचाना है तो उनके ऋण को माफ करना होगा। उन्होंने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय और उर्वरक मंत्रालय को कृषि मंत्रालय से ही जोड़ने की मांग भी उठाई।
भाजपा के उदय प्रताप सिंह ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए एक कार्यक्रम जरूरी है जो कृषि मंत्री ने इस देश के सामने रखा है। उन्होंने सिंचाई के क्षेत्र में और अधिक कामकाज की जरूरत बताई।सिंह ने कहा कि कृषि में हर साल नीति बनाने के बजाय एक दीर्घकालिक नीति बनाई जानी चाहिए। उन्होंने मध्य प्रदेश में किसानों की आय दोगुनी करने का रोडमैप सबसे पहले बनने का दावा करते हुए कहा कि अगर राज्य सरकारें केंद्र के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करें तो किसान की खुशहाली के रास्ते बनते हैं।