By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 03, 2020
नयी दिल्ली। राज्यसभा में दिल्ली हिंसा पर चर्चा को लेकर मंगलवार को गतिरोध जारी रहने के बीच विपक्ष ने दावा किया कि इस विषय पर पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है लेकिन संसद में नहीं बोलने दिया जा रहा है तथा सदन में इस मुद्दे पर चर्चा होने से स्थिति बिगड़ने के बजाय उसे सामान्य बनाने में मदद मिलेगी। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने दिल्ली हिंसा के मुद्दे पर उच्च सदन में चर्चा कराने की विपक्षी दलों की मांग को तर्कसंगत बताते हुए कहा कि इस घटना की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है लेकिन संसद चल रही है और सदन में चर्चा न हो, यह अटपटा लगता है। उन्होंने दलील दी, ‘‘एक घटना हुई, जिसकी हम सभी लोग निंदा करते हैं। लेकिन इस घटना की पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है और हमारे यहां संसद शुरु हो गयी है लेकिन इस विषय पर चर्चा न हो यह बड़ा ही अटपटा लगेगा। पूरी दुनिया देखती है कि सब बोल रहे हैं और भारत का सदन नहीं बोल रहा है।’’
आजाद ने विपक्ष द्वारा चर्चा कराने की मांग के मकसद को स्पष्ट करते हुए कहा, ‘‘हमने सरकार को पहले ही बता दिया है कि चर्चा का मकसद एक दूसरे पर हमला करना नहीं है बल्कि इस बात पर विचार मंथन करना है कि ऐसी घटना दोबारा न हो।’’ उन्होंने कहा कि हिंसा में मारे गये 90 फीसदी लोगों की उम्र 24 से 35 साल के बीच है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हिंसा में संपत्ति से इतर देश की मानव संपदा का कितना भारी नुकसान हुआ है। आजाद ने सत्तापक्ष की इस आशंका को भी बेबुनियाद बताया कि सदन में चर्चा कराने से कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ेगी। उन्होंने कहा, ‘‘सदन के सभी सदस्य अपनी जिम्मेदारी को समझते हैं और मैं नहीं समझता हूं कि यहां ऐसा कोई भी गैरजिम्मेदार सदस्य ऐसा होगा जो तेल डालकर जायेगा। यहां सभी जिम्मेदार सदस्य हैं और वे हालात पर पानी और मिट्टी डालकर ही जायेंगे।’’
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आजाद ने कहा कि सभी सदस्य ऐसी बात कहना चाहेंगे जिससे हालात सामान्य हों, अफवाहों पर यकीन नहीं करने की अपील करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘अगर इस पर भी सत्तापक्ष को कोई शंका होती है तो मैं नहीं समझता हूं कि विपक्ष का ऐसा कोई गैरजिम्मेदार व्यक्ति है जो इस स्थिति में भी आग डालने की कोशिश करेगा।’’ आजाद ने इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा कराने की जरूरत पर दलील दी कि ‘‘सिरदर्द आज है और एक सप्ताह बाद दवा खाने की सलाह देना उचित नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि चर्चा कराने में पहले ही देर हो गयी है, सोमवार को सदन की बैठक शुरु होने पर ही चर्चा करानी चाहिये थी। उन्होंने कहा कि संसद सदस्य होने के नाते हम सभी को हिंसा में मारे गये लोगों के प्रति अपनी संवोदना प्रकट करने की जिम्मेदारी से भागना नहीं चाहिये, बल्कि जिम्मेदारी को पूरा करना चाहिये।