By अंकित सिंह | Jul 31, 2023
दिल्ली अध्यादेश को लेकर अब कांग्रेस के भीतर की तकरार सामने आने लगी है। पार्टी आलाकमान को असहजता का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, विपक्षी एकता को मजबूत करने की कवायद में कांग्रेस आलाकमान ने दिल्ली अध्यादेश को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की थी और आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार का साथ देने की बात भी कही थी। हालांकि, दूसरी ओर कांग्रेस की दिल्ली और पंजाब इकाई लगातार आलाकमान से आम आदमी पार्टी का समर्थन नहीं करने के बात कह रही थी। बावजूद इसके आलाकमान ने आम आदमी पार्टी का समर्थन किया। लेकिन अब ऐसा लगता है कि कांग्रेस के भीतर की उठापटक सामने आने लगी है।
कांग्रेस नेता और दिल्ली के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने अपनी पार्टी के रुख से हटकर, एनसीटी दिल्ली सरकार की शक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार के अध्यादेश का समर्थन किया है। साथ ही साथ कहा कि यह विधेयक शहर की संवैधानिक स्थिति के अनुरूप है। दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने बताया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अच्छी तरह जानते हैं कि अगर उन्हें सतर्कता विभाग पर नियंत्रण नहीं मिला, तो उन्हें कम से कम आठ से दस साल के लिए जेल भेज दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोकसभा में बीजेपी के पास बहुमत है, ये बिल सदन में पास होना चाहिए। यह बिल दिल्ली की स्थिति के अनुसार है। अगर आप दिल्ली को शक्तियां देना चाहते हैं तो इसे पूर्ण राज्य बनाना चाहिए। मेरी राय में इस बिल का विरोध करना गलत है।
कांग्रेस नेता ने कहा, अरविंद केजरीवाल ने बिल की गलत व्याख्या की है और उन्होंने इंडिया गठबंधन की भी गलत व्याख्या की है। इसलिए यदि वे इसका विरोध करने पर अड़े हैं तो मैं क्या कर सकता हूं? दीक्षित ने कहा कि अगर विपक्षी गठबंधन चाहते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी को शक्तियां मिलें तो उन्हें दिल्ली को राज्य का दर्जा दिलाने के लिए संसद में एक विधेयक लाना चाहिए। वहीं, संदीप दीक्षित के बयान पर आम आदमी पार्टी ने पलटवार किया है। AAP नेता और दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जब कांग्रेस नेतृत्व ने इस बिल (दिल्ली ऑर्डिनेंस बिल) का विरोध करने का फैसला कर लिया है तो फिर संदीप दीक्षित का इस पर कुछ भी कहना कोई मायने नहीं रखता।