By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 25, 2022
नयी दिल्ली| दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने और इस तरह के खेलों को रोकने के अनुरोध वाली एक याचिका पर केंद्र सरकार का रुख पूछा, जो कौशल का खेल नहीं बल्कि दांव होते हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने वकील अतुल बत्रा की याचिका पर नोटिस जारी किया।
बत्रा ने अपनी याचिका में कहा है कि उनकी चिंता यह थी कि दांव लगाने के ऑनलाइन गेम को कौशल के खेल के रूप में बढ़ावा दिया जाता है और ऑनलाइन जुआ उतना ही बुरा है जितना कि किसी नशे की लत।
अदालत ने कहा कि सट्टेबाजी और जुआ राज्य का विषय है और याचिकाकर्ता से याचिका में दिल्ली सरकार को एक पक्ष के रूप में शामिल करने के लिए कहा। केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि विभिन्न मंत्रालय इस मुद्दे पर विचार कर रहे हैं, जो राज्य के विषय से संबंधित है और इसलिए केंद्र राज्य की सहमति के बिना इस पर कानून नहीं बना सकता है।
याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा कि यदि ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी को नियंत्रित नहीं किया जाता है, तो इससे बड़े पैमाने पर समाज को नुकसान होने की संभावना है क्योंकि कुशाग्र बुद्धि वाले युवा ऐसे खेलों के शिकार हो सकते हैं, जिसका उनके व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
याचिकाकर्ता ने एक ऑनलाइन क्रिकेट गेम की पेशकश करने वाली एक संस्था के खिलाफ उचित कार्रवाई का अनुरोध किया, जिसमें ऑनलाइन क्रिकेट गेम की वेबसाइट पर पैसा शामिल है और प्रथम दृष्टया यह जुए के खेल को बढ़ावा देता है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत, केंद्र को अवैध जुआ ऑनलाइन वेबसाइटों के संचालन पर प्रतिबंध लगाने के लिए उचित निर्देश जारी करने का अधिकार है।
याचिका में कहा गया है, ‘‘यह पाया गया है कि ऑनलाइन सट्टेबाजी/जुआ किसी भी नशीले पदार्थ की लत जितना ही बुरा है। इसलिए, यह केवल न्यायसंगत और बड़े पैमाने पर जनता के हित में है कि यहां अनुरोध के अनुसार आदेश, रिट, निर्देश दिए जाएं।’’ याचिका में आगे कहा गया है कि विधि एवं न्याय मंत्रालय ने ‘‘भारत में क्रिकेट सहित खेलों में सट्टेबाजी/जुआ के कानूनी ढांचे’’ पर अपनी रिपोर्ट देने के लिए एक विधि आयोग का गठन किया था, जिसने जुलाई 2018 में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की और सिफारिश की कि ऑनलाइन जुआ और सट्टेबाजी को बाजार में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और समाज की कमजोर आबादी की रक्षा के लिए उचित रूप से विनियमित किया जाना चाहिए।
याचिका में कहा गया है, ‘‘याचिकाकर्ता कौशल के खेल के खिलाफ नहीं है, लेकिन उसे ऐसे खेलों के बारे में चिंता है जो जुआ के समान हैं और जिन्हें कौशल के खेल के रूप में बढ़ावा दिया जाता है।’’
याचिकाकर्ता ने कहा, ‘‘यदि राष्ट्रीय स्तर पर एक नियामक नियुक्त नहीं किया जाता है, तो इस बात की संभावना अधिक है कि विभिन्न राज्य ‘‘कौशल के खेल’’ पर अलग दृष्टिकोण बनाएं और दिल्ली जैसे राज्य में भी अधिकार क्षेत्र के आधार पर अलग-अलग पुलिस थाना खेल की अपनी समझ के आधार पर अलग दृष्टिकोण ले सकते हैं।’’ मामले की अगली सुनवाई 16 नवंबर को होगी।