By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 16, 2020
नयी दिल्ली। दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में कोविड-19 के गंभीर रूप से बीमार मरीजों के इलाज के लिए प्रायोगिक तौर पर पहली बार प्लाजमा प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाएगा। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। एक अधिकारी ने बताया कि प्लाजमा प्रौद्योगिकी का क्लीनिकल परीक्षण ‘‘इन्स्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बाइलरी साइंसेज ’’ (आईएलबीएस) में किया जाएगा। प्लाजमा तकनीक में कोरोना वायरस के संक्रमण से उबर चुके व्यक्ति के रक्त की एंडीबॉडी का इस्तेमाल, कोविड-19 से गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए किया जाता है।
इस प्रौद्योगिकी का उद्देश्य कोविड-19 के मरीजों में संक्रमण की वजह से होने वाली समस्याओं को सीमित करने के लिए कॉनवेलेसेन्ट प्लाजमा के प्रभाव का आकलन करना है। कॉनवेलेसेन्ट प्लाजमा कोरोना वायरस के मरीजों के लिए एक प्रायोगिक प्रक्रिया है। उप राज्यपाल अनिल बैजल ने ट्वीट किया कि संबद्ध अधिकारियों को कोविड-19 के मरीजों के इलाज के दौरान, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों और मानकों का कड़ाई से पालन करने को कहा गया है।
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उन्होंने ट्वीट किया ‘‘कोविड-19 के गंभीर रूप से बीमार मरीजों का जीवन बचाने के लिए दिल्ली में इलाज के वास्ते प्लाजमा प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाएगा। संबद्ध अधिकारियों को कोविड-19 के मरीजों के इलाज के दौरान, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों और मानकों का कड़ाई से पालन करने को कहा गया है।’’ अधिकारी ने बताया कि आईएलबीएस के निदेशक एस के सरीन की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय एक समिति ने कोरोना वायरस के गंभीर रूप से बीमार मरीजों के इलाज के लिए इस प्लाजमा थैरेपी का इस्तेमाल किए जाने का परामर्श दिया था।