By नीरज कुमार दुबे | Feb 03, 2024
देश की राजनीति बदलने के नाम पर राजनीति में आये अरविंद केजरीवाल राजनीति को बदलने की बजाय खुद ही बदल गये। वादा किया था बंगला नहीं लूंगा मगर शीश महल बनवा लिया, वादा किया था कि सरकारी गाड़ी नहीं लूंगा मगर अब बड़ी-बड़ी गाड़ियों का काफिला लेकर चलते हैं, कहते थे कि सुरक्षा नहीं लूंगा लेकिन रिपोर्टों के मुताबिक आज दिल्ली और पंजाब पुलिस के जवानों की फौज उनकी सुरक्षा में तैनात है। ऐसे ही अनेक उदाहरण हैं जो साबित करते हैं कि अन्ना आंदोलन के दौरान वाले केजरीवाल और अब सत्ता का स्वाद चख चुके केजरीवाल में कितना परिवर्तन आ चुका है। पहले केजरीवाल भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन चलाया करते थे, बड़े-बड़े नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा कर तमाम तरह के दस्तावेज पेश किया करते थे मगर आज खुद केजरीवाल और उनकी सरकार तथा पार्टी के तमाम नेता भ्रष्टाचार के आरोपों के घेरे में हैं। यही नहीं, जिन लालू प्रसाद यादव, शरद पवार और कांग्रेस के नेताओं के भ्रष्टाचार को वह बड़ा मुद्दा बनाया करते थे आज उनके साथ मंच साझा करने या उनके खिलाफ जांच एजेंसियों की कार्रवाई का विरोध करने से वह गुरेज नहीं करते। केजरीवाल हर बात में संविधान का हवाला जरूर देते हैं लेकिन अपने आचरण से वह सवाल खड़ा करते हैं कि क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री संविधान में लिखी बातों का पालन कर रहे हैं?
हाल ही में केजरीवाल ने आरोप लगाया कि उनकी सरकार को गिराने का प्रयास हो रहा है और कुछ विधायकों की खरीद-फरोख्त का प्रयास किया गया है। ऐसा ही आरोप कुछ समय पहले भी केजरीवाल ने लगाया था मगर कोई सबूत नहीं पेश किया था। अब केजरीवाल ने अपना आरोप दोहराते हुए फिर कोई सबूत नहीं पेश किया है। आश्चर्य है कि सेना से उसके शौर्य का सबूत मांगने वाले केजरीवाल खुद कोई सबूत देने से बचते हैं। सबूत देना तो क्या वह तो जांच में शामिल होने से भी बचते हैं। आंदोलन के दौरान केजरीवाल कहते थे कि आम जनता और वीआईपी पर सभी नियम समान होने चाहिए लेकिन वीआईपी बनते ही वह खुद को नियमों से परे समझने लग गये हैं। ईडी ने शराब घोटाला मामले में उन्हें पांच समन भेजे मगर वह पेश नहीं हुए और उल्टा ईडी पर ही आरोप लगा दिया कि उन्हें भेजे गये समन कानूनी रूप से गलत हैं। सवाल उठता है कि यदि ईडी बार-बार केजरीवाल को गलत समन भेज रही है तो वह इस संबंध में शिकायत क्यों नहीं दर्ज करा रहे या अदालत क्यों नहीं जा रहे?
यही नहीं, जब केजरीवाल और उनकी मंत्री आतिशी ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी की सरकार को गिराने की साजिश हो रही है तो जाहिर है कि इस गंभीर आरोप की जांच होनी चाहिए। यदि सरकार गिराने का कोई प्रयास हुआ है तो दोषी को न्याय के कठघरे में लाया ही जाना चाहिए। केजरीवाल की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह सरकार गिराने का प्रयास करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार करवाने में मदद करें लेकिन वह तो दूर भाग रहे हैं। दिल्ली पुलिस उनके आरोपों के संबंध में उन्हें नोटिस देना चाहती है ताकि इस मामले का सच सामने आ सके लेकिन केजरीवाल और उनकी मंत्री नोटिस स्वीकार नहीं कर रहे हैं। सवाल उठता है कि क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री और मंत्री द्वारा लगाये गये आरोप झूठे थे? सवाल उठता है कि यदि आरोप झूठे थे तो क्या केजरीवाल और आतिशी के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होनी चाहिए? सवाल उठता है कि क्या राजनेताओं को झूठे आरोप लगा कर अपनी राजनीति चमकाने और जनता के बीच भ्रम फैलाने की इजाजत देनी चाहिए?
बहरहाल, भाजपा ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही दिल्ली के मुख्यमंत्री गिरफ्तार होंगे। पार्टी की दिल्ली इकाई के उपाध्यक्ष कपिल मिश्रा ने कहा है कि करप्शन किंग केजरीवाल कितना भी भाग लें लेकिन उनकी चोरी और पापों का हिसाब होकर रहेगा। उन्होंने कहा है कि जहां चोर गैंग के बाकि साथी हैं वहीं उनका गैंग लीडर भी जाएगा।