By रितिका कमठान | Nov 03, 2023
देश की राजधानी दिल्ली में इन दिनों वायु गणवत्ता का स्तर बेहद गंभीर स्थिति में पहुंच गया है। दिल्ली एनसीआर में आसमान नीला नहीं बल्कि धुंधला नजर आ रहा है क्योंकि हर जगह पल्यूशन की मोटी लेयर देखने को मिल रही है। आसमान धुंध की चादर में लिपटा हुआ है। वहीं इतनी अधिक धुंध होने के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
प्रदूषण बेहद अधिक स्तर पर बढ़ने के कारण लोगों को सांस लेने में तकलीफ, सीने में जलन, आंखों में जलन की शिकायत हो रही है। वहीं दिन तीन नवंबर यानी शुक्रवार को दिल्ली में वायु प्रदूषण बेहद अधिक स्तर पर रहा है। इस दौरान वायु प्रदूषण का स्तर 400 के आस पास दर्ज हुआ है। वहीं इससे एक दिन पहले दिल्ली का वायु प्रदूषण 392 पर दर्ज किया गया है। दिल्ली में हर बीतते दिन के साथ हवा का स्तर बेहद नीचे गिरता जा रहा है। वायु प्रदूषण बेहद गंभीर और खतरनाक स्थिति में पहुंच रहा है।
जानकारी के मुताबिक दिल्ली में सुबह 7 बजे वायु प्रदूषण का स्तर 460 पर पहुंच गया था। बता दें कि ये स्तर बेहद गंभीर श्रेणी में आता है। वहीं दिल्ली के अधिकतर इलाकों में स्तर 400 से अधिक ही रहा है। दिल्ली में प्रदूषण के लगातार बढ़ते स्तर के कारण GRAP III को भी लागू किया गया है। इसके तहत दिल्ली एनसीआर में गैर जरुरी कंस्ट्रक्शन का काम, पत्थर तोड़ने का काम, खनन को रोकने के निर्देश जारी किए गए है।
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए अब प्रदूषण फैला रहे ट्रकों, वाणिज्यिक चार पहिया वाहनों और सभी प्रकार की निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध समेत तमाम आपात उपाय लागू करने की आवश्यकता होती है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा तैयार किए गए नीति दस्तावेज के अनुसार, ये कदम केंद्र की वायु प्रदूषण नियंत्रण योजना के अंतिम चरण के तहत उठाए जाते हैं और आदर्श रूप में राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के 450 के आंकड़े को पार करने से कम से कम तीन दिन पहले लागू किए जाने चाहिए।
लगाई गई हैं रोक
जानकारी के मुताबिक दिल्ली में लगातार जिस स्तर पर प्रदूषण बढ़ रहा है उसे देखते हुए सीएक्यूएम ने बृहस्पतिवार को अनावश्यक निर्माण कार्य और प्रदूषण फैला रहे वाहनों की कुछ श्रेणियों पर प्रतिबंध का आदेश जारी किया है। हालांकि अब तक दिल्ली और एनसीआर में सभी इमरजेंसी उपायों को लागू करने के लिए निर्देश जारी नहीं किए गए है। इससे पहले दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य के लिए खतरनाक प्रदूषण से बच्चे का बचाव करने के लिए अहम फैसला लिया है।
प्रदूषण से बच्चों की सुरक्षा करने के लिए सरकार ने आदेश दिए हैं कि सभी प्राइमरी स्कूलों को दो दिन के लिए बंद किए जाएंगे। बता दें कि शुक्रवार को सुबह नौ बजे दिल्ली में प्रदूषण का स्तर 471 पर पहुंच गया। गौरतलब है कि हर वर्ष दिल्ली में अत्यधिक प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं के कारण प्रदूषण के स्तर में अत्यधिक बढ़ोतरी देखने को मिलती है।
शहर में 24 घंटे का औसत एक्यूआई बृहस्पतिवार को 392, बुधवार को 364, मंगलवार को 359, सोमवार को 347, रविवार को 325, शनिवार को 304 और शुक्रवार को 261 दर्ज किया गया। यह पिछले कुछ दिन में दिल्ली की वायु गुणवत्ता में गिरावट के सिलसिले को दर्शाता है। बृहस्पतिवार को एक्यूआई गिरकर गंभीर श्रेणी में पहुंच गया। वायु गुणवत्ता का संकट केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है। पड़ोसी हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी वायु गुणवत्ता हानिकारक स्तर पर दर्ज की गयी है। इन शहरों में राजस्थान में हनुमानगढ़ (401), भिवाड़ी (379) और श्री गंगानगर (390), हरियाणा में हिसार (454), फतेहाबाद (410), जींद (456), रोहतक (427), बल्लभगढ़ (390), बहादुरगढ़ (377), सोनीपत (458), कुरुक्षेत्र (333), करनाल (345), कैथल (369), भिवानी (365), फरीदाबाद (448) और गुरुग्राम (366) तथा उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद (414), बागपत (425), मेरठ (375), नोएडा (436) और ग्रेटर नोएडा (478) शामिल हैं।
दिल्ली-एनसीआर में लगातार चौथे दिन शुक्रवार को घनी और दमघोंटू धुंध छायी है और क्षेत्र में कई स्थानों पर पीएम2.5 (सूक्ष्म कण जो सांस लेने पर श्वसन प्रणाली में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं) की सांद्रता 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से सात से आठ गुना अधिक रही। पुणे स्थित भारतीय ऊष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान द्वारा विकसित एक संख्यात्मक मॉडल-आधारित प्रणाली के अनुसार, वर्तमान में दिल्ली में पीएम2.5 प्रदूषण में 25 फीसदी हिस्सा पराली जलाने से उठने वाले धुएं का है और यह आंकड़ा शुक्रवार तक 35 फीसदी पर पहुंच सकता है।