President Droupadi Murmu से मिला 31 विपक्षी सांसदों का प्रतिनिधिमंडल, मणिपुर मामले में हस्तक्षेप की मांग की

By अंकित सिंह | Aug 02, 2023

मणिपुर मुद्दे को उठाने के लिए 31 विपक्षी सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और राज्य में जारी संकट में हस्तक्षेप की मांग करते हुए उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल में भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (आई.एन.डी.आई.ए.) के 21 सांसद भी शामिल थे जिन्होंने 29-30 जुलाई को मणिपुर का दौरा किया था। यह बैठक ऐसे समय हुई जब विपक्ष संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग को लेकर अड़ा हुआ है। साथ ही साथ वह मणिपुर हिंसा पर व्यापक चर्चा की मांग कर रहा है। 

 

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नेताओं ने क्या कहा

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि I.N.D.I.A. गठबंधन के 31 सदस्यों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और मणिपुर का दौरा करने वाले 21 सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें वहां की स्थिति के बारे में जानकारी दी। हमने राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने कहा कि हमने राष्ट्रपति को विशेष रूप से मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, पुनर्वास और अन्य स्थितियों के बारे में जानकारी दी... हमारी मुख्य मांग है कि प्रधानमंत्री को मणिपुर का दौरा करना चाहिए और राज्य में शांति बहाल करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए। आम आदमी पार्ट सांसद सुशिल गुप्ता ने कहा कि हमारी मांग है कि प्रधानमंत्री सदन में आएं और मणिपुर जाएं। वे वहां शांति का रास्ता निकालें। यह सब हमने राष्ट्रपति जी को बताया और हरियाणा की स्थिति से भी अवगत कराया। 

 

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ज्ञापन में क्या कहा गया है

राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हमने जो भी वहां देखा वह सब राष्ट्रपति जी के सामने रखा है। मणिपुर के हालात दिन पर दिन संगीन होते जा रहे हैं। विपक्षी दलों की ओर से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया, "हम बिना किसी देरी के राज्य में शांति और सद्भाव स्थापित करने के लिए आपसे तत्काल हस्तक्षेप का अनुरोध करते हैं। प्रभावित समुदायों को न्याय प्रदान करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को अपना कर्तव्य पूरा करना चाहिए। हम आपसे निवेदन करते हैं कि आप प्रधानमंत्री पर मणिपुर की मौजूदा स्थिति पर संसद को तत्काल संबोधित करने के लिए दबाव डालें, जिसके बाद इस मामले पर एक विस्तृत और व्यापक चर्चा हो।"

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