By विजयेन्दर शर्मा | Oct 11, 2021
आज नवरात्रि का छठा दिन है । नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के स्वरूप माता कात्यायनी की पूजा की जाती है । मान्यता है कि मां कात्यायनीकी पूजा करने से शादी में आ रहीं सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और भगवान बृहस्पति प्रसन्न होकर विवाह का योग बना देते हैं ।
यह भी माना जाता है कि अगर सच्चे मन से मां की पूजा की जाए तो वैवाहिक जीवन में सुख-शांति भी बनी रहती है । पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक माता कात्यायनी की पूजा अर्चना से भक्त को अपने आप आज्ञा चक्र जाग्रति की सिद्धियां मिल जाती हैं । साथ ही वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है भक्त. मां कात्यायनी की उपासना से रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं ।
मान्यता है कि महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया था. इसलिए उन्हें कात्यायनी कहा गया है । मां कात्यायनी को ब्रज की अधिष्ठात्री देवी माना गया है । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गोपियों ने श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के लिए यमुना नदी के तट पर मां कात्यायनी की ही पूजा अर्चना की थी । कहते हैं, मां कात्यायनी ने ही अत्याचारी राक्षस महिषाषुर का वध कर तीनों लोकों को उसके आतंक से मुक्त भी कराया था ।
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
पंडित प्रबल शास्त्री ने बताया कि मां का छठा रूप माता कात्यायनी का है। महिषासुर और शुभ-निशुभ दानव का वध माता ने ही किया। कात्यायन ऋषि की पुत्री होने के कारण मां का नाम कात्यायनी पड़ा। मां को महिषासुर मर्दनी भी कहा जाता है। मां कात्यायनी ने महिषासुर, शुम्भ और निशुम्भ का वध कर नौ ग्रहों को उनकी कैद से छुड़ाया था। मां कात्यायनी की पूजा भगवान राम और श्रीकृष्ण ने भी की थी। मां कात्यायनी का स्वरूप बेहद ही अलौकिक और भव्य है. इनकी 4 भुजाएं हैं. मां कात्यायनी के दाहिनी तरफ का ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में है और नीचे वाला वरमुद्रा में. बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है. मां कात्यायनी सिंह की सवारी करती हैं ।