घर में आमतौर पर अरहर की दाल काफी खाई जाती है, जो सेहत के लिए बेहद अच्छी मानी जाती है। कई लोगों का मानना है कि अगर दिन में एक बार अरहर की दाल का सेवन ना किया जाए तो दिन का खाना पूरा नहीं होता है। यही कारण है कि सरकार भी हमेशा अरहर की दाल की कीमत को नियंत्रण में करने की कोशिश में लगी रहती है। समय समय पर सरकारी एजेंसियां भी किसानों से सीधे अरहर की दाल खरीदती हैं ताकि इसकी कीमत आसमान ना छूने लगे।
हालांकि कुछ समय पहले ही अरहर की दाल की कीमत में बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में सरकार अरहर की दाल की नई फसल के आते ही इसकी खरीद फिर शुरू कर चुकी है। ऐसे में संभावना है कि आगामी दिनों में अरहर की दाल की कीमत कम हो सकती है।
इस संबंध में कृषि मंत्रालय ने जानकारी दी कि सरकार मूल्य समर्थन योजना के तहत अबतक इस वर्ष 3,92,000 टन अरहर की दाल खरीद चुकी है। इस योजना के तहत अरहर की दाल की खलीर न्यूनत समर्थन मूल्य पर हो रही है। मंत्रालय ने नौ राज्यों में 13.22 लाख टन अरहर दाल खरीदी है।
सरकार का लक्ष्य है कि कीमत पर लगाम लगाने के उद्देश्य से बाजार में बाजार में जारी करने के लिए 10 लाख टन अरहर का बफर स्टॉक बनाया जाएगा। मंत्रालय ने बयान में जानकारी दी की इस महीने 22 तारीख तक इन राज्यों में 3.92 लाख टन अरहर की दाल खरीदी जा चुकी है। ऐसे में इन राज्यों के कुल 2,56,517 किसानों को लाभ हुआ है।
अरहर की दाल की खरीदी
अरहर की दाल को खरीदने के लिए सहकारी समितियां नैफेड और एनसीसीएफ के ई पोर्टल पर रजिस्टर किसानों से लेती है। वर्ष 2025 में केंद्र सरकार ने बजट में अरहर की दाल का 100 फीसदी खरीद करने की प्रतिबद्धता जाहिर की है।