योगी कैबिनेट के फैसेल के अनुसार जिलाधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर सम्बन्धित श्रेणी में दी जाने वाली राहत की राशि के अधिकतम 25% हिस्से को अंतरिम क्षतिपूर्ति के तौर पर दिया जाएगा। जबकि अभी तक बलात्कार और मॉब लिंचिंग के मामलों में फौरी मदद के बजाय जांच के बाद ही पीड़ितों को मदद दी जाती थी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, भीड़ हिंसा, दुष्कर्म, एसिड अटैक जैसी अलग-अलग परिस्थिति में 14 बिंदुओं पर तय मुआवजे में से जिलाधिकारी के स्तर पर अब 25 फीसदी अंतरिम मुआवजा दिया जा सकेगा। लेकिन ऐसा नहीं है कि योगी सरकार का भीड़तंत्र की घटनाओं को कम करने की दिशा में पहला कोई कदम हो। इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मॉब लिचिंग की घटनाओं को देखते हुए गोवंश मालिकों के लिये गौ सेवा आयोग के प्रमाणपत्र का प्रावधान दिया था जिसके अनुसार अगर कोई व्यक्ति एक स्थान से दूसरे स्थान पर गोवंश को ले जाता है तो गौ सेवा आयोग उसे प्रमाणपत्र देगा। सुरक्षा की जिम्मेदारी भी आयोग की ही होगी ताकि मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं को रोका जा सके।