By अंकित सिंह | Sep 29, 2022
राजस्थान में कांग्रेस के लिए संकट अभी भी बरकरार है। राजस्थान में कांग्रेस किस पर भरोसा जताए यह फैसला आलाकमान को लेना है। दरअसल, राजस्थान में कांग्रेस के लिए पूरा का पूरा मामला अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट है। अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच फिलहाल वर्चस्व की लड़ाई है। आलम यह हो गया है कि दोनों खेमा एक दूसरे पर जबरदस्त तरीके से हमलावर है। अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों ही फिलहाल दिल्ली में हैं। लेकिन उनके समर्थकों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर लगातार जारी है। अशोक गहलोत के समर्थक विधायक सचिन पायलट के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। सचिन पायलट को गद्दार बता रहे हैं। दूसरी ओर सचिन पायलट के समर्थक विधायक अशोक गहलोत और उनके सिपहसालार ओ को दलाल बताने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
अशोक गहलोत के करीबी शांति धारीवाल ने मीडिया को संबोधित करते हुए साफ तौर पर कहा था कि गद्दार को पुरस्कृत होते हम नहीं देख सकते। दूसरी ओर गहलोत के ही करीबी धर्मेंद्र राठौड़ ने भी सचिन पायलट पर भड़ास निकालते हुए उन्हें गद्दार कहा। गहलोत समर्थक विधायकों का दावा है कि सचिन पायलट ने 2020 में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार गिराने की कोशिश की थी। वह अपने समर्थक विधायकों के साथ हरियाणा के मानेसर में बैठ गए थे। गहलोत समर्थक विधायकों का यह भी कहना है कि जिसने पार्टी से गद्दारी करके राजस्थान में सरकार गिराने की कोशिश की, उसी को अब मुख्यमंत्री के लिए आगे बढ़ाया जा रहा है जो ठीक नहीं है।
दूसरी ओर पायलट कैंप के भी लोग अशोक गहलोत पर जबरदस्त तरीके से हमलावर है। विधायक मुरारी लाल मीणा ने साफ तौर पर कहा है कि वह इस तरह के बयानों से आहत है। यह राजनीतिक मर्यादा के खिलाफ है। वहीं, एक और विधायक के वेद प्रताप सोलंकी ने साफ तौर पर अशोक गहलोत के समर्थकों को दलाल कहा है। कुल मिलाकर देखे तो राजस्थान में वर्चस्व की लड़ाई फिलहाल कम होने का नाम नहीं ले रही है। आलाकमान की ओर से लगातार बैठकों का दौर जारी है। अशोक गहलोत और सचिन पायलट दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। देखना दिलचस्प होगा कि पंजाब के बाद राजस्थान में कांग्रेस के भीतर पैदा हुई संकट को पार्टी किस तरह से सुलझाने में कामयाब होती है।