By प्रिया मिश्रा | Sep 30, 2021
हिन्दू धर्म में नवरात्रि पर्व का बहुत महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि का आरंभ आश्विन मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से होता है। इस बार शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर (गुरुवार) से शुरू हो रहे हैं और 14 अक्टूबर (बुधवार) को महानवमी मनाई जाएगी। इसके बाद 15 अक्टूबर (गुरुवार) को दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। नवरात्रि में नौ दिनों तक माँ दुर्गा के अलग-अलग रुपों की पूजा-आराधना की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ ही माता की पूजा शुरु हो जाती है और नवमी के दिन हवन और कन्या पूजन किया जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिनों में माता के नौ रूपों की भक्तिभाव से पूजा करने से माता अपने भक्तों पर प्रसन्न होती हैं और उन्हें सुख-समृद्धि और शक्ति प्रदान करती हैं।
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
7 अक्टूबर (गुरुवार) को सुबह 6 बजकर 17 मिनट से सुबह 7 बजकर 7 मिनट तक
घट स्थापना के लिए सामग्री
कलश, कलश के नीचे रखने के लिए मिट्टी, मिट्टी का बर्तन, लाल रंग का आसन, जौ, मौली, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, चावल, अशोका या आम के 5 पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, माता का श्रृंगार और फूलों की माला।
घट स्थापना विधि
घट स्थापना करने से पहले मंदिर को गंगा जल से साफ किया जाता है। कलश में सात तरह की मिट्टी, सुपारी और मुद्रा रखी जाती है इसके अलावा आम के पांच या फिर सात पत्तों से कलश को सजाया जाता है, कलश के बीच में नारियल को लाल चुनरी में लपेट कर रखा जाता है। कलश के नीचे जौ बोए जाते हैं और इन्हें दशमी तिथि को काटा जाता है। माँ दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर मंदिर के मध्य में स्थापित की जाती है इसके बाद व्रत का संकल्प लिया जाता हैं। व्रत के संकल्प के बाद मिट्टी की वेदी बना कर उसमें जौ बोए जाते हैं। इस वेदी पर कलश स्थपित किया जाता है। इसके बाद माँ दुर्गा का ध्यान करें और इस श्लोक का जाप करें-
सर्व मंगल मांगल्यै, शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्यै त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
नवरात्रि की पूजा के पहले दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। पूजा पाठ के समय अखंड दीप भी जलाया जाता है जो नवरात्रि के व्रत पूरे होने तक जलता रहना चाहिए। कलश स्थापना करने के बाद श्री गणेश जी और माँ दुर्गा की आरती की जाती है और नौ दिनों के व्रत या नौ में से कुछ दिनों के व्रत का संकल्प लिया जाता है।
नवरात्रि के नौ दिन
7 अक्टूबर (पहला दिन)- मां शैलपुत्री की पूजा
8 अक्टूबर (दूसरा दिन)- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
9 अक्टूबर (तीसरा दिन)- मां चंद्रघंटा व मां कुष्मांडा की पूजा
10 अक्टूबर (चौथा दिन)- मां स्कंदमाता की पूजा
11 अक्टूबर (पांचवां दिन)- मां कात्यायनी की पूजा
12 अक्टूबर (छठवां दिन)- मां कालरात्रि की पूजा
13 अक्टूबर (सातवां दिन)- मां महागौरी की पूजा
14 अक्टूबर (आठवां दिन)- मां सिद्धिदात्री की पूजा
15 अक्टूबर- दशमी तिथि ( व्रत पारण) एवं विजयादशमी या दशहरा
- प्रिया मिश्रा