By अभिनय आकाश | Jul 22, 2022
राष्ट्रपति चुनाव सपन्न हो गया और द्रौपदी मुर्मू के रूप में भारत को पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति भी मिल गई। द्रौपदी मुर्मू ने भरी मतों से जीत दर्ज की है। राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी खेमे से 125 विधायक और 17 सांसदों ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट किया। वहीं गैर एनडीए दलों का भी समर्थन मुर्मू को प्राप्त हुआ। जिसके बाद अब सभी की निगाहें उपराष्ट्रपति चुनाव पर टिकी हैं। जहां बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और कांग्रेस की नेता मार्गेट अल्वा के बीच मुकाबला है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार द्वारा मार्ग्रेट अल्वा को 17 विपक्षी दलों की ओर से संयुक्त रूप से उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए की घोषणा करने के बाद टीएमसी के स्टैंड ने विपक्षी एकता के दावे की हवा निकाल कर रख दी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी उप राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग प्रक्रिया से दूर रहने का फैसला किया।
शुरुआती दिनों को छोड़ दे राज्यपाल के पद पर आसीन होने के बाद से शायद ही कोई ऐसा दिन गुजरा होगा जब जगदीप धनखड़ ने ममता बनर्जी सरकार और उनके शासन-प्रशासन को कठघरे में न खड़ा किया हो। चाहे कोविड 19 गाइडलाइन का मामला रहा हो या राज्य में हुई हिंसा से जुड़ा विषय, राज्यपाल के निशाने पर तृणमूल कांग्रेस की सरकार ही रही। ममत बनर्जी जैसी जुझारू और तीखे तेवर वाली नेता के लिए तो जैसे दो-दो हाथ करना रूटीन का हिस्सा ही रहता है। ममता ने तो धनखड़ को ट्विटर पर ब्लॉक तक कर दिया था। तमाम विवादों के बीच उपराष्ट्रपति पद के लिए जगदीप धनखड़ को राजग की तरफ से उम्मीदवार बनाने को लेकर चर्चा बहुत ज्यादा हुई। कुछ ने इसे ममता की राज्यपाल धनखड़ से मुक्ति मान रहे हैं तो कुछ ममता की राह मुश्किल करने का ईनाम। लेकिन इस बीच एक मुलाकात की खूब चर्चा हो रही है जो उपराष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार के रूप में धनखड़ के नाम के ऐलान से कुछ दिनों पहले हुई थी।
ये मुलाकात बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, असम के सीएम हेमंता बिस्वा सरमा और गवर्नर धनखड़ के बीच दार्जिलिंग के राजभवन में हुई थी। कहा जा रहा है कि टीएमसी सुप्रीमो की सहमति के बाद ही बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने धनखड़ के नाम पर अंतिम मुहर लगाई। दार्जिलिंग दौरे के दौरान राजभवन में ममता, धनखड़ और सरमा की बैठक हुई थी। सूत्रों की माने तो उस बैठक में बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के फैसले से ममता बनर्जी को अवगत कराया गया था। जिसके बाद ही धनखड़ दिल्ली गए और फिर गृह मंत्री अमित शाह और पीएम मोदी से मुलाकात की थी। बाद में उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में जगदीप धनखड़ के नाम का ऐलान हो गया।
धनखड़ और ममता के बीच की तल्खी किसी से छुपी नहीं है। बंगाल सीएम की तरफ से लगातार धनखड़ को हटाने की मांग भी की जाती रही। ऐसे में बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साध लिए। ममता की मांग भी स्वीकार हो गई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार द्वारा मार्ग्रेट अल्वा को 17 विपक्षी दलों की ओर से संयुक्त रूप से उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए की घोषणा करने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि वह इस पर 21 जुलाई को अपना रुख स्पष्ट करेगी। तृणमूल सांसद सौगत रॉय ने कहा कि पार्टी के सांसद 21 जुलाई को ममता बनर्जी की अध्यक्षता में बैठक में शामिल होंगे और इसके बाद इस संबंध में घोषणा की जाएगी। विश्लेषकों का कहना है कि यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ममता बनर्जी धनखड़ की उम्मीदवारी का समर्थन करेंगी या फिर विरोध करेंगी? संभव है कि चूंकि धनखड़ राज्य के राज्यपाल हैं, ऐसी स्थिति में बृहत्तर राजनीतिक हित के लिए ममता बनर्जी धनखड़ की उम्मीदवारी का समर्थन कर दें।