राजस्थान में कांग्रेस को भारी पड़ सकती है दलित समुदाय की नाराजगी

By रमेश सर्राफ धमोरा | Aug 24, 2022

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इन दिनों अपनों के ही निशाने पर आ रहे हैं। राजस्थान के जालौर जिले के सुराणा गांव में एक नौ वर्ष के दलित छात्र इंद्र मेघवाल की एक शिक्षक द्वारा पिटाई करने से हुई मौत को लेकर राजस्थान की राजनीति में भूचाल आया हुआ है। विपक्षी दलों से अधिक कांग्रेस के नेता गहलोत पर निशाना साध रहे हैं। लोगों का मानना है कि दलित छात्र की मौत पर गहलोत सरकार ने मुआवजा देने में भी भेदभाव बरत रही है। इसी को लेकर बारां जिले के अटरू से कांग्रेस के विधायक पानाचंद मेघवाल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपना विधायक पद से इस्तीफा देने का पत्र भी भेज दिया है।


पानाचंद मेघवाल ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री गहलोत ने जहां उदयपुर के मृतक कन्हैयालाल टेलर के दो पुत्रों को सरकारी नौकरी दी है तथा उनके परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की है। वहीं जालौर के दलित छात्र की मौत पर मात्र पांच लाख रुपये ही सहायता के दिए हैं जो सरासर भेदभाव है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटना से मैं बहुत दुखी हूं और अपने विधायक पद से इस्तीफा देना चाहता हूं। इसके अलावा, कांग्रेस विधायक और राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा ने भी गहलोत सरकार पर जमकर निशाना साधा है। बैरवा ने कहा कि प्रदेश में लगातार दलित समुदाय पर अत्याचार हो रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री को चर्चा के लिए एक दिन का विशेष विधानसभा सत्र बुलाना चाहिए। बैरवा ने सरकार की ओर से मृतक छात्र के परिजनों को दी सहायता राशि पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि पांच लाख देना कहां का न्याय है। उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से परिजनों को 50 लाख रुपये का मुआवजा और मृतक के परिवार से एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने की मांग की है।


घटना के बाद जालौर जिले के सुराणा गांव पहुंचे प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट ने भी अपनी ही सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मृतक दलित छात्र का शव घर में पड़ा था और पुलिस प्रशासन ने लाठीचार्ज कर दिया। इस मामले में सरकार ने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि आजादी के 75 साल पूरे हो गए हैं। आज भी जिस तरह से जातिगत भेदभाव हो रहा है और यह घटना हुई है। वह कहीं ना कहीं बड़े सवाल खड़े करती है।

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पायलट ने कहा कि मृतक छात्र का परिवार खौफ में जी रहा है। जिस तरह से मासूम का शव दफनाने के दौरान पुलिस ने परिवार के लोगों पर लाठीचार्ज किया और उनके दामाद को गिरफ्तार किया यह दुर्भाग्यपूर्ण है। कम से कम इस मामले में तो सरकार को कार्यवाही करनी चाहिए थी। पायलट ने कहा कि परिवार के लोग एसडीएम समेत पुलिस अधिकारियों का नाम लेकर अपनी पीड़ा बयां कर रहे हैं। पायलट ने अपनी सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब तक कानून का भय नहीं रहेगा तो इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी।


जालौर की घटना पर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने भी गहलोत सरकार को घेरते हुए कहा कि आज भी आजादी के 75 साल बाद भी जाति व्यवस्था हमारी सबसे बड़ी दुश्मन बनी हुई है। केंद्रीय मंत्री व भाजपा नेता गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी जालौर प्रकरण को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार की कानून व्यवस्था को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार के दौरान राजस्थान अपराधों के मामले में पूरे देश में सिरमौर बन चुका है। अपराधियों को खुलेआम सरकार के नेताओं, अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त रहता है। ऐसे में आम लोगों का जीना मुहाल हो गया है।


केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने भी घटनास्थल पर पहुंचकर पीड़ित के परिजनों से मिलकर गहलोत सरकार को अपराधों की रोकथाम की दिशा में शीघ्र कार्यवाही करने की बात कही। नागौर सांसद व राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल ने भी जालौर में हुई घटना को लेकर पीड़ित के परिजनों से मुलाकात कर पूरे प्रकरण की सीबीआई से जांच की मांग की। उन्होंने कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक सहित सभी अधिकारियों को तत्काल हटाने की मांग की।

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जालौर की घटना के बाद कांग्रेसी खेमे में चिंता व्याप्त हो रही है। जालौर की घटना से राजस्थान के दलितों में गहलोत सरकार के प्रति गहरी नाराजगी देखी जा रही है। दलित नेताओं का मानना है कि सरकार ऊंची जातियों की तुलना में दलितों को मुआवजा देने में भी भेदभाव बरत रही है। इस घटना ने राजस्थान सरकार की नींद उड़ा दी है। कांग्रेस के ही नेता अपनी सरकार के खिलाफ बयानबाजी करने लगे हैं। जो सरकार व कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ी चिंता की बात है।


मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सफाई देते हुये कहा कि जालौर में दलित छात्र की मौत के मामले की जांच प्राथमिकता से की जा रही है। उसी समाज के एडीजी को भेजकर घटना की हकीकत तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को भ्रामक खबरें फैलाने में मजा आता है। लेकिन हमारा काम है सत्य के रास्ते पर चल कर पीड़ित, शोषित, दलित को न्याय दिलाना। ऐसी घटना मानवता पर कलंक है। हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने डैमेज कंट्रोल करने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ चार मंत्रियों को भी घटनास्थल पर भेज कर परिजनों पीड़ित के परिजनों से मिलकर हर संभव मदद का भरोसा दिलाया था। मगर उसके उपरांत भी दलितों की नजर में सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रही है।


राजस्थान में कभी अलवर, कभी जालौर, कभी पाली तो कभी आदिवासी क्षेत्रों में हो रही इस तरह की घटनाओं ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। दलित व आदिवासी कांग्रेस का मूल वोटर रहा है। ऐसे में इस वर्ग की नाराजगी कांग्रेस को आने वाले समय में कहीं भारी न पड़ जाए इसी चिंता में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की रातों की नींद उड़ रही है। मुख्यमंत्री गहलोत चाहते हैं कि जल्दी से जल्दी इस घटना का पटाक्षेप हो जाए ताकि दलित वर्ग में सरकार के प्रति फैली नाराजगी को दूर किया जा सके। मगर प्रदेश में लगातार होने वाली घटनाओं से दलित वर्ग का गहलोत सरकार से मोहभंग होता नजर आ रहा है। ऊपर से अपनी ही पार्टी के नेताओं की बयानबाजी से भी गहलोत खासे दबाव में नजर आ रहे हैं। हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी खिसियाहट को छुपाने के लिए भाजपा पर हमला कर लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं जिससे वो लगातार सुर्खियों में बने रहें।


मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि वे स्थाई जादूगर हैं और प्रदेश में उनका जादू है। गहलोत ने कहा कि मेरा जादू अलग तरह का है। इतनी बार जनता ने मौका दिया है। मेरी जिंदगी का मकसद गरीबों के आंसू पोंछना है। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि जनता अगले विधानसभा चुनाव में उनकी सरकार को फिर से मौका देगी। माना जा रहा कि मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कांग्रेस के संदर्भ में किए गए ‘काला जादू’ वाले कमेंट को लेकर यह बयान दिया।


भाजपा पर निशाना साधते हुए गहलोत ने कहा कि बीजेपी ने देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने का प्रयास किया तो भारत का हश्र भी पाकिस्तान जैसा होगा। गहलोत ने कहा कि बीजेपी गुजरात मॉडल के नाम पर लोगों को गुमराह कर रही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की गुजरात इकाई ने देश को केवल खरीद-फरोख्त मॉडल दिया है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में बीजेपी ने कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को जेल भेजा है। बीजेपी के पास न कोई विचारधारा है, न नीति है, ना ही गवर्नेंस मॉडल है।


-रमेश सर्राफ धमोरा

(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं। इनके लेख देश के कई समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहते हैं।)

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