By कमलेश पांडेय | Dec 04, 2021
सरकार का क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध लगाने का कोई इरादा नहीं है, बल्कि वह इसका नाम बदलकर क्रिप्टो एसेट करने पर विचार कर रही है जिसे सेबी द्वारा विनियमित किया जाएगा। यह बात खुद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए स्पष्ट की है, ताकि इस धंधे में जुटे लोगों के आर्थिक हित प्रभावित नहीं हों और निकट भविष्य में सरकार भी इससे लाभान्वित हो। वह यह भी चाहती है कि इससे किसी भी प्रकार की आर्थिक अनियमितताओं को बढ़ावा न मिले।
वहीं, गत दिनों राज्यसभा में क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कैबिनेट की मंजूरी के बाद क्रिप्टो करेंसी सम्बन्धी बिल मौजूदा शीतकालीन सत्र के तीसरे सप्ताह में पेश किया जाएगा। यह एक जोखिम भरा क्षेत्र है जो पूर्ण नियामक ढांचे में नहीं है। इसलिए इस पर रोक लगाने का कोई फैसला नहीं लिया गया, बल्कि आरबीआई और सेबी के माध्यम से जनजागरूकता पैदा करने के लिए कतिपय कदम उठाए जा रहे हैं। इस सम्बन्ध में सरकार जल्द ही एक विधेयक पेश करेगी। मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए बिल यह सुनिश्चित करेगा कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के कुछ प्रावधान भी लागू हों।
बताया जाता है कि सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने के बजाय एक नियामक ढांचे के तहत लाने का फैसला किया है। इस बाबत प्रस्तावित एक कानून के तहत डिजिटल मुद्रा क्रिप्टो करेंसी का नाम बदलकर क्रिप्टो-एसेट कर दिया जाएगा और इसे सेबी के नियामक दायरे में लाया जाएगा।
वहीं, इस मामले की प्रत्यक्ष जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि केंद्र सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने के बजाय एक नियामक ढांचे के तहत लाने का सही फैसला किया है, जिससे कि ऐसी संपत्तियों पर चीन जैसी किसी कार्रवाई की आशंकाओं को शांत किया जा सके। इसी उद्देश्य से प्रस्तावित कानून के तहत क्रिप्टोकरेंसी का नाम बदलकर क्रिप्टो-एसेट किया जाएगा और इसे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियामक दायरे में लाया जाएगा।
बता दें कि क्रिप्टो करेंसी पर सरकारी प्रतिबंध के बारे में छा चुकी आशंकाओं के कारण स्थानीय एक्सचेंजों पर भी कारोबार की जाने वाली क्रिप्टोकरेंसी के मूल्य में गिरावट आई। आलम यह है कि क्रिप्टो करेंसी पर बिल पेश करने के बारे में जारी एक सरकारी अधिसूचना के बाद, बिटकॉइन भारतीय एक्सचेंज साइट वज़ीरएक्स पर 13 प्रतिशत से अधिक गिर गया, जबकि शीबा इनु और डॉगकोइन दोनों 15 प्रतिशत से अधिक गिर गए। हालाँकि, उन्होंने अपने मूल्य में से कुछ को पुनः प्राप्त किया, जो खुशी की बात है।
अमूमन क्रिप्टो करेंसी को नियंत्रित करने और प्रतिबंधित नहीं करने की सरकार की योजना पर प्रकाश डालते हुए बताया गया है कि क्रिप्टो को एक संपत्ति के रूप में वर्गीकृत करने से यह सुनिश्चित होगा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और क्रिप्टो करेंसी द्वारा लॉन्च की जाने वाली डिजिटल मुद्रा के बीच कोई ओवरलैप नहीं है। सभी क्रिप्टो एक्सचेंज सेबी के नियामक दायरे में आएंगे। किसी भी उल्लंघन के कारण मौद्रिक दंड 5-20 करोड़ रुपये और कारावास हो सकता है।
बता दें कि सरकार इस सत्र के तीसरे सप्ताह में संसद में इस आशय का एक विधेयक पेश करने जा रही है, जिसे आरबीआई के डिजिटल फिएट बिल से अलग रखा जाएगा। इसका मतलब यह है कि क्रिप्टो लेनदेन को सेबी-पंजीकृत प्लेटफॉर्म और एक्सचेंजों से गुजरना होगा। यह सुनिश्चित करने के लिए एक कट-ऑफ तारीख निर्धारित की जाएगी कि सभी मौजूदा एक्सचेंज सेबी के साथ पंजीकृत हों। दरअसल, सेबी के तहत क्रिप्टो करेंसी प्लेटफॉर्म को लाने से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि केवल गंभीर खिलाड़ी ही बाजार में हैं। इससे क्रिप्टो प्लेटफॉर्म पर संभावित घोटालों की मौजूदा घटनाओं को बढ़ावा कदापि नहीं मिलेगा।
बताया जाता है कि एक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म को विनियमित करना एक डिजिटल उपकरण को विनियमित करने का एक अप्रत्यक्ष तरीका है। यह 'पूर्ण शराबबंदी' जैसे निरर्थक उपायों को करने के बजाय इसे एक संगठित बाजार के रूप में लाएगा। इसके विकसित विनियमन के लिए, क्रिप्टो बाजार के विकास को सुनिश्चित करने के लिए सीमा पार केवाईसी मानदंड, निवेशक सुरक्षा तंत्र, रिपोर्टिंग और कर योग्यता तैयार करना और लागू करना एक बड़ी चुनौती होगी, जिसे सरकार स्वीकार कर चुकी है और इससे किसी भी रूप में जनहित प्रभावित न हो पाए, वह ऐसे ही इंतजाम करना चाहती है। हालांकि यह एक कदम आगे है, जो चुनौतियों के अपने सेट के बिना नहीं आता है।
जानकारों की राय में यह सही है कि सेबी क्रिप्टो को विनियमित करने के लिए उत्सुक नहीं था क्योंकि इसकी कोई अंतर्निहित संपत्ति नहीं है। कोई अंडरलाइंग के अभाव में निपटान कैसे सुनिश्चित करता है? बताया जाता है कि क्रिप्टो करेंसी के सभी लेनदेन ब्लॉकचेन पर दर्ज नहीं किए जाते हैं। बल्कि केवल एक या कुछ वॉलेट पते हैं, जो सिक्का रखते हैं और ग्राहक एक-दूसरे से खरीदते-बेचते हैं, लेकिन यह रिकॉर्ड केवल एक्सचेंज द्वारा बनाए रखा जाता है। यहां कोई नियामक नहीं है। इसलिए सेबी को एक तंत्र बनाना पड़ सकता है, जैसे कि प्रत्येक लेनदेन और प्रत्येक वॉलेट को एक केंद्रीयकृत डीमैट प्रकार के स्टोर से अलग रखा जाता है, इसलिए आपके पास एक अलग डेटाबेस हो सकता है जो सिक्का स्वामित्व को स्टोर करने के लिए अधिक वास्तविक समय है।
वहीं, क्रिप्टो उद्योग के एक अन्य जानकार की मानें तो उनका यह व्यक्तिगत विचार अभी भी बना हुआ है कि एक एकल नियामक सही दृष्टिकोण नहीं हो सकता है। भविष्य वैसे भी संपत्ति के व्यापार के बारे में नहीं है। यह उससे परे है, जैसे कि एनएफटी- वे कहां फिट होंगे? हमारे सहित कई लोग सेबी के नियामक होने की ओर इशारा कर रहे हैं और आज नहीं तो कल उसे इसे नियंत्रित करने के उपाय करने ही होंगे।
साफ शब्दों में कहा जाए तो क्रिप्टो करेंसी एक अभिजात्य आभासी मुद्रा है जिससे किया जाने वाला लेन-देन कहीं न कहीं करवंचना या कतिपय वैश्विक आर्थिक अनियमितताओं से अभिप्रेरित होता है। देश-दुनिया के शासन-प्रशासन का चरित्र भी अभिजात्यवादी होता है, इसलिए इसे प्रतिबंधित करना उनके वश की बात नहीं। ऐसी मुद्राओं का एक परोक्ष दबाव समूह होता है, जो चाहे अनचाहे तरीके अपनाकर अपने वर्गीय हितों को साध लेता है।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार