By अनन्या मिश्रा | Oct 04, 2023
अगर आप भी मांसपेशियों की समस्या से जूझ रहे हैं, तो ऐसे में आपको डॉक्टर से क्रायोथेरेपी के बारे में बात करना चाहिए। बता दें कि इस थेरेपी का इस्तेमाल शरीर की मांसपेशियों के खिंचने और ऊतकों के कमजोर होने पर किया जाता है। इस थेरेपी में व्यक्ति को काफी कम तापमान में रखा जाता है। इसको आइस पैक थेरेपी या क्रायो सर्जरी के नाम से भी जानते हैं।
क्रायोथेरपी के जरिए मसे, तिल, सनबर्न जैसी स्किन की समस्याओं का भी इलाज किया जाता है। हॉलीवुड की ज्यादातर अभिनेत्रियां जवां बने रहने तथा स्किन को बेदाग रखने के लिए क्रायोथेरेपी का उपयोग करती हैं। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि क्रायोथेरिपी से कैसे होता है और इसको करने के क्या फायदे होते हैं।
क्रायोथेरेपी
बता दें कि इस थेरेपी में शरीर को एकदम से ठंडा किया जाता है। जिससे शरीर की सारी गर्मी और जलन निकल जाए। इस थेरेपी से खून की नसें सिकुड़ने के बाद धीरे-धीरे फैलने लगती हैं। इस थेरेपी को आप ठीक उसी तरह समझ सकते हैं, जैसे शरीर के किसी हिस्से पर चोट लग जाने से बर्फ से सिकाई की जाती है। क्रायोथेरेपी करने के लिए एक ठंडे चैंबर में सिर के हिस्से को छोड़कर बाकी पूरे शरीर को रखा जाता है।
स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज है जरूरी
इस दौरान चेंबर का तापमान माइनस 150 डिग्री सेल्सियस होता है। क्रायोथेरेपी में चेंबर को ठंडा करने के लिए नाइट्रोजन का सहारा लिया जाता है। वहीं केवल एक अंडरवियर और अच्छी गुणवत्ता वाल मोजे पहनकर चेंबर में जाना होता है। इस थेरेपी को पूरा करने के लिए 30 सेकेंड से लेकर 3 मिनट तक चेंबर में रहना होता है। फिर इसके पूरा होने के बाद आपको स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करनी होती है। जिससे कि संचार वाहिकाओं में सुचारु रूप से रक्त चलने लगे।
क्रायोथेरेपी करते समय सावधानियां
हांलाकि भले ही यह थेरेपी सुनने में आपको आसान लग रही हो, लेकिन बता दें कि इसको करने से पहले कुछ सावधानियों का ध्यान रखना जरूरी होता है।
इस थेरेपी को करने से पहले आपको तरल पदार्थ से दूर रहने की सलाह दी जाती है।
क्योंकि तरल पदार्थ के त्वचा पर जमने से ठंड से जलने की आशंका रहती है।
क्रायोथेरेपी को करने से पहले शरीर को अच्छे से सुखा लेना चाहिए।
दिल से जुड़ी बीमारी, अस्थमा, हाई या लो ब्लड प्रेशर, बुखार या जख्म आदि होने पर क्रायोथेरेपी नहीं लेनी चाहिए।
प्रेग्नेंट महिलाओं को इस थेरेपी से दूर रहना चाहिए।
हाइपोथर्मिया या कंपकपाहट होने पर फौरन इस थेरेपी को बंद कर देना चाहिए।