Jan Gan Man: Government Forms में पूछा जाना चाहिए पंथ, देश में सबका धर्म एक

By अंकित सिंह | Nov 08, 2023

भारत को लेकर लगातार यह दावा किया जाता है कि देश धर्मनिरपेक्ष है। यहां किसी को भी अपने हिसाब से कोई भी धर्म पालन करने का अधिकार है। उसे पर किसी भी तरह का दबाव नहीं होगा। हम लगातार देखते रहे हैं कि जितने भी सरकारी कागज है जिनमें जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, इन सभी जगह पर धर्म को लेकर एक कॉलम होता है जहां संबंधित व्यक्ति को अपना धर्म बताना होता है। हालांकि देश में ऐसे कई लोग हैं जो यह मानते हैं कि भारत में धर्म एक है और पंथ अनेक हैं। धर्म के स्थान पर पंथ लिखने को लेकर लगातार कोर्ट कचहरी में याचिका डाली जाती रही है। इसी कड़ी में जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, राशन कार्ड, बैंक खाता, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, मतदाता पहचान पत्र, स्कूल एडमिशन सहित सभी सरकारी अभिलेखों में 'धर्म' के स्थान पर 'पंथ' लिखने की मांग वाली जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया। इसी को लेकर देश के प्रसिद्ध अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय ने अपनी बात रखी है।

 

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वरिष्ठ वकील अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि अभी हम किसी भी सरकारी डॉक्यूमेंट के लिए अप्लाई करते हैं तो इंग्लिश के फॉर्म में रिलेशन लिखा रहता है लेकिन हिंदी वाले में धर्म लिखा जाता है। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरीके से गलत है। धर्म अलग है, पंथ अलग है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजो के समय से बहुत बड़ी भूल होती आ रही है। सरकारी कागजों में हमेशा धर्म लिखा जाता है और बहुत सारे लोग तो भारत को धर्मनिरपेक्ष भी बताते हैं। उन्होंने कहा कि मैंने कोर्ट से आग्रह किया था कि आप सरकार को निर्देश दीजिए कि जहां कहीं भी रिलिजन होता है वहां पथ लिखा जाए। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि भारत एक पंथनिरपेक्ष देश है यहां पथ अलग-अलग है लेकिन धर्म एक है। उन्होंने कहा कि जब धर्म सबका एक है तो फिर धर्म का कॉलम क्यों?

 

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अश्वनी उपाध्याय ने आगे कहा कि सरकारी कागजों में पंथ पूछा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, कानून मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। इसको लेकर 4 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा गया है। जनवरी में इस पर सुनवाई होगी। उन्होंने कहा कि जज चाहे किसी भी किसी भी रिलिजन का हो लेकिन उसका धर्म एक है और वह है न्याय करना। उन्होंने कहा कि डॉक्टर किसी भी पंथ का हो लेकिन उसका धर्म है कि सभी का ईमानदारी से इलाज करें। शिक्षक किसी भी रिलिजन का हो उसका धर्म है ईमानदारी से बच्चों को पढ़ाना। सनातन धर्म एक है उन्होंने कहा कि धर्म अलग-अलग नहीं होते। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी के फॉर्म में ठीक भरा जा रहा है लेकिन हिंदी में पंत होना चाहिए। 

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