By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 24, 2022
नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय प्रधानमंत्री की सुरक्षा से संबंधित एक जनहित याचिका पर 30 अप्रैल को सुनवाई करेगा। अदालत ने उच्चतम न्यायालय में इससे जुड़े मुद्दों के लंबित होने के मद्देनजर सोमवार को यह फैसला लिया। याचिका में मांग की गई थी कि प्रधानमंत्री और उनके परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के मामले में असैन्य, सैन्य समेत सभी प्राधिकार विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) की निगरानी में काम करें। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि वह केंद्र से इस जनहित याचिकाको एक अभिवेदन के तौर पर मानने के लिए कहेगी।
याचिकाकर्ता आशीष कुमार की ओर से पेश अधिवक्ता वी गोविंद रमणन ने कहा कि यह विशेषकर कानून से जुड़ा सवाल है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा के मामले में जिम्मेदारी एसपीजी के पास होनी चाहिए और वह गृह मंत्रालय के समक्ष इस बाबत पहले ही अभिवेदन दे चुके हैं। केंद्र सरकार के अधिवक्ता अमित महाजन ने अदालत को सूचित किया कि उच्चतम न्यायालय इस विषय से जुड़े मुद्दों पर पहले ही विचार कर रहा है। इस पर पीठ ने पीआईएल पर सुनवाई स्थगित कर दी और कहा कि शीर्ष अदालत निर्देश दे चुका है और उसके द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है।
गत पांच जनवरी को प्रधानमंत्री का काफिला पंजाब के फिरोजपुर में प्रदर्शनकारियों के अवरोध उत्पन्न करने पर एक फ्लाईओवर पर फंस गया था। 12 जनवरी को न्यायालय ने इस मामले की गहन जांच की मांग करने वाली याचिका पर शीर्ष अदालत की एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था। उच्च न्यायालय में दायर याचिका में कहा गया कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा का विषय राज्यों के विवेक पर नहीं छोड़ा जा सकता है और उनकी सुरक्षा के मामलों की पूरी जिम्मेदारी एसपीजी की होनी चाहिए।