By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 15, 2021
भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के रीवा स्थित परिसर में आगामी अकादमिक सत्र से ‘ग्रामीण पत्रकारिता’ में एक वर्षीय (दो सेमेस्टर) स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित किया जाएगा। 14 मई, 2021 को हुई बोर्ड ऑफ स्टडीज (बीओएस) की बैठक में पाठ्यक्रम को विषय विशेषज्ञों ने अंतिम रूप दिया। कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था से लेकर समाज जीवन में गाँवों का बहुत बड़ा योगदान है। परंतु मीडिया में ग्रामीण विषयों, मुद्दों एवं समस्याओं का कवरेज पाँच प्रतिशत से भी कम है। मीडिया के क्षेत्र में गाँव, किसान, खेती, उनकी समस्याएं, चुनौतियों एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों को अधिक से अधिक स्थान मिले, ऐसी दृष्टि रखने वाले पत्रकारों की आवश्यकता है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए विश्वविद्यालय अपने रीवा स्थित परिसर में ‘ग्रामीण पत्रकारिता’ पर एक वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित करने जा रहा है।
कुलपति प्रो. सुरेश ने बताया कि मीडिया में गाँव से जुड़े विषयों का कवरेज इसलिए भी कम होता है, क्योंकि इन विषयों पर लिखने वाले पत्रकारों की कमी है। गाँव से जुड़े विषयों को अधिक शोधपूर्ण ढंग से लिखने और प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करने की आवश्यकता है। ‘ग्रामीण पत्रकारिता’ पाठ्यक्रम के माध्यम से विश्वविद्यालय इस तरह के प्रशिक्षित पत्रकारों को तैयार करने का प्रयास करेगा। उन्होंने बताया कि यह पाठ्यक्रम सिर्फ रीवा परिसर में संचालित किया जाएगा। यह पाठ्यक्रम रीवा परिसर की पहचान बनेगा। उल्लेखनीय है कि कुलपति प्रो. सुरेश ने रीवा प्रवास के दौरान ग्रामीण पत्रकारिता का डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रारंभ करने की घोषणा की थी।
पत्रकारिता विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. राखी तिवारी की अध्यक्षता में शुक्रवार को आयोजित बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक में श्री नीलेश मिश्रा, सुश्री आकांक्षा शुक्ला, डॉ. प्रवीण सिंह, श्री आशुतोष सिंह, सुश्री रूबी सरकार, श्री दीपेन्द्र सिंह बघेल और डॉ. ब्रजेन्द्र शुक्ला शामिल हुए। पाठ्यक्रम के महत्व को रेखांकित करते हुए विषय विशेषज्ञों ने कहा कि वर्तमान स्थिति ने बता दिया है कि रूरल कम्युनिकेशन का कितना महत्व है। कोरोना महामारी के संबंध में ग्रामीण क्षेत्र में अनेक प्रकार के भ्रम फैले हुए हैं, जिन्हें पत्रकारिता के माध्यम से दूर किया जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना की क्या स्थिति है और वहाँ किस प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता है, इसे भी ग्रामीण पत्रकारिता के माध्यम से सरकार के सामने लाकर समाज का हित किया जा सकता है। बैठक में डीन अकादमिक प्रो. पवित्र श्रीवास्तव और रीवा-खंडवा परिसर के अकादमिक समन्वयक डॉ. मणिकंठन नायर भी उपस्थित रहे।