By अभिनय आकाश | May 06, 2020
देश में अर्थव्यवस्था के कई महत्वपूर्ण क्षेत्र कोरोना वायरस-ट्रिगर लॉकडाउन से गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं, रोजगार संकट का सामना कर रहा है। यह औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को प्रेरित करते हुए अधिक लोगों को गरीबी में धकेलने की धमकी दे रहा है।
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कोरोना के इस संकट काल में जहां लोगों के रोजगार पर काफी बुरा असर पड़ रहा है, वहीं देश की अर्थव्यवस्था से जुड़े कई महत्वपूर्ण क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। यह फार्मल और इनफार्मल दोनों क्षेत्र के कामगारों को प्रभावित कर गरीबी रेखा की ओर धकेलने के खतरे का संकेत भी दे रहा है। आर्थिक थिंक-टैंक CMIE के नवीनतम मासिक आंकड़ों में अप्रैल में भारत की बेरोजगारी दर 23.5% दर्शाया है। बड़े राज्यों जैसे तमिलनाडु (49.8%), झारखंड (47.1%) और बिहार (46.6%) में बेरोजगारी सबसे अधिक थी। सीएमआईई के सर्वेक्षण आंकड़े के अनुसार पंजाब, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में सबसे कम बेरोजगारी दर क्रमश: 2.9%, 3.4% और 6.2% दर्शाया गया है। सीएमआईई जॉब सर्वे के अनुसार, 3 मई तक के नवीनतम आंकड़ों में बेरोजगारी दर 27.1% तक बढ़ गई है, जो अब तक की सबसे अधिक है। मार्च और अप्रैल 2020 के बीच रोजगार का अनुमानित नुकसान 114 मिलियन तक का है।
सीएमआई के प्रबंध निदेशक और सीईओ महेश व्यास के अनुसार नियोजित की कुल संख्या लगभग 400 मिलियन है, 114 मिलियन का नुकसान यह है कि हर चार में से एक व्यक्ति ने अपनी नौकरी खो दी है। अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि 3 मई तक के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि यह दर और बढ़ सकता है।
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व्यास ने कहा कि रोजगार के मोर्चे पर स्थिति बहुत गंभीर है। उन्होंने कहा कि श्रम भागीदारी दर (अर्थव्यवस्था में सक्रिय कार्यबल) बेहद कम है और अप्रैल में यह 35.6% थी। व्यास ने कहा कि लॉकडाउन का विस्तार स्थिति को और खराब कर सकता है। हमने शुरू में बेरोजगारी दर 23% से बढ़कर 24% और फिर अप्रैल के दौरान 26% देखी। पिछले हफ्ते यह घटकर 21% रह गया क्योंकि 20 अप्रैल को ग्रामीण भारत में लॉकडाउन में थोड़ी रियायत दी गई थी। व्यास ने कहा कि जाहिर है, लॉकडाउन का एक और विस्तार कामगारों की स्थिति को और बिगाड़ सकता है वहीं थोड़ी रियायत कुछ तत्काल ला सकता है। इसके अलावा बड़े पैमाने पर मजदूरों का प्रवासन कई क्षेत्रों में कुशल श्रमिकों की कमी को बढ़ा सकते हैं।
सबसे ज्यादा प्रभावित छोटे, मध्यम और सूक्ष्म उद्योग, होटल और रेस्तरां, मल्टीप्लेक्स, खुदरा, एयरलाइंस, विनिर्माण और मीडिया हैं। इसके कारण नौकरियों में कटौती हुई है क्योंकि आपातकाल से निपटने के लिए कंपनियों ने छटनी की है।