By रमेश ठाकुर | Jul 20, 2020
योग और आयुर्वेद से कोरोना जैसी बीमारी से निजात मिल सकती है या नहीं ? इस मुद्दे पर इस वक्त समूचे हिंदुस्तान में बहस छिड़ी है। बाबा रामदेव द्वारा लॉन्च की गई कोरोनिल दवाई भी सवालों के घेरे में है। कुछ लोग उनके विरोध में हैं तो कई समर्थन में। योग और आयुर्वेद के जानकार और देश के प्रसिद्ध योगाचार्य मंगेश त्रिवेदी से हमने पूरी हकीकत जानने की कोशिश की। मंगेश त्रिवेदी को ही इस बार आयुष मंत्रालय ने विशेष रूप से 'विश्व योग दिवस' पर लोगों को वर्चुअल योग कराने का जिम्मा सौंपा था। योग से कैसे मिलेगी कोरोना से मुक्ति और बाबा रामदेव की कोरोनिल दवाई की एबीसीडी जानने के लिए वरिष्ठ पत्रकार रमेश ठाकुर ने योगाचार्य मंगेश त्रिवेदी से विस्तृत बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश-
आयुष मंत्रालय ने छठे 'विश्व योग दिवस' पर आपको विशेष रूप से लोगों को वर्चुअल योग कराने का निमत्रंण दिया, कैसा रहा अनुभव?
जी हां, विश्व योग दिवस पर मैंने अपनी संस्था 'योगाकरो' के माध्यम से पूरे विश्व में 15 लाख से अधिक लोगों को वर्चुअल तरीके से जोड़कर उन्हें योग कराया। इस बार विश्व योग दिवस पर कोरोना महामारी के चलते कोई सामूहिक आयोजन नहीं होना था। आयुष मंत्रालय से जुड़कर मैंने अपनी संस्था योगाकरो एवं सहयोगी संस्था स्यात् के साथ मिलकर देश के 26 राज्यों के 473 जिलों में 900 संयोजकों एवं 1800 सह−संयोजको को जोड़ा। साथ ही विदेशों में न्यूजीलैंड, इथोपिया, जर्मनी, कैलिफोर्निया, थाईलैंड इत्यादि देशों को भी 21 जून को सुबह 7 बजे एक साथ योगाभ्यास कराया जिसमें 15 लाख लोग मेरे फेसबुक पेज से तथा अन्य गूगल मीट एवं जूम ऐप के जरिए जुड़े। सफल कार्यक्रम के बाद खुद केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने मुझे वीडीओ संदेश के माध्यम से शुभकामनाएं एवं बधाई दी।
बाबा रामदेव की कोरोना मुक्ति वाली दवाई के दावों से आप कितना इत्तेफाक रखते हैं?
बाबा रामदेव ने जो कोरोना मुक्ति की दवाई बनाई है उसके बारे में मेरा मानना है कि बाबा रामदेव को इस दवाई का नाम कोरोनिल के स्थान पर कोरोना रोधक रखना चाहिए था, क्योंकि जब उन्होंने इस दवाई के निर्माण के लाइसेंस के लिए उत्तराखंड सरकार को आवेदन दिया था तो इसे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाई बताया था, फिर इसे कोरोना निवृत्ति की दवाई बताया। मैं इसे थोड़ा जल्दबाजी में लिया गया निर्णय मानता हूं। वैसे भी कोरोना का रिकवरी रेट भारत में बहुत अच्छा है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता खुद ही शरीर को स्वस्थ बना ही रही है, अगर आप पहले भी किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित नहीं हैं और इस दवा में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले घटक तत्व लिए गए हैं तो उससे हम किसी भी बीमारी से जल्दी ठीक हो जाते हैं।
आप खुद प्रसिद्ध योगगुरु हैं, कोरोना में योग कितना कारगर साबित हो सकता है?
कोरोना में योग दो तरीके से कारगर साबित हो सकता है। अव्वल, अगर आप नियमित रूप से योग कर रहे हैं तो फिर आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता इतनी अच्छी हो जाती है कि आपको कोरोना का वायरस प्रभावित ही नहीं कर पाएगा और आपको कोरोना होगा ही नहीं? दूसरा, अगर कोरोना पीडि़त व्यक्ति किसी योग्य योग शिक्षक के दिशा−निर्देशन में नियमित रूप से योग के कुछ विशेष आसनों और विशेष प्राणायामों का अभ्यास करे तो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने से रोगी जल्दी कोरोना से ठीक होगा। प्राणायाम के अभ्यास से उसके फेफड़े मजबूत होंगे व श्वास प्रणाली क्षमता बेहतर होगी जिससे रोगी जल्दी ठीक हो जाएगा। ये सिद्ध हो चुका है कि कोरोना के इलाज में योग एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और निभा भी रहा है।
क्या वास्तव में आयुर्वेदिक दवाओं से किसी अपरिचित बीमारी का इलाज संभव है?
जी बिल्कुल है! आयुर्वेदिक दवाओं से किसी अजन्मी बीमारी का इलाज संभव है, मैं एक बात कहना चाहता हूं इलाज में बिल्कुल गारंटी नहीं होती है कि रोगी बिल्कुल शत्−प्रतिशत ठीक हो जाएगा, आयुर्वेद में जो इलाज होता है उसकी जो औषधियां होती हैं वह शरीर के विभिन्न तंत्रों के लिए होती हैं। जैसे, पाचन तंत्र, श्वसन तंत्र, को बेहतर बनाने के लिए दवा होती है और जो भी बीमारी होती है वह शरीर की किसी ना किसी तंत्र से संबंधित होती है जैसे कोरोना का सीधा संबंध श्वसन से है, तो मधुमेह अंतःस्रावी तंत्र से संबंधित है और आयुर्वेद की दवाइयां शरीर की प्रत्येक तंत्र प्रणाली को बेहतर बनाने का काम करती हैं जिससे कि इन तंत्रों से संबंधित कोई भी बीमारी ठीक हो जाती है चाहे वह घोषित बीमारी हो या अघोषित।
अगर बाबा रामदेव की कोरोनिल दवाई सफल होती है, तो केंद्र सरकार को परहेज नहीं होना चाहिए?
हां बिल्कुल, सरकार को क्या किसी को भी दिक्कत नहीं होनी चाहिए? परंतु सरकार की भी कार्यप्रणाली होती है कि उसके आयुष विभाग में जांच परख का जो सिस्टम है, किसी भी दवाई को मार्केट में बेचने की अनुमति देने का उसमें रामदेव को सहयोग करते हुए बिना जल्दबाजी के सरकार के सारे नियमों का पालन करते हुए दवाई जांच की संपूर्ण प्रक्रिया पूरी होने और आयुष मंत्रालय की अनुमति के बाद ही बाजार में बेचने की घोषणा करनी चाहिए थी। मुझे लगता है इसमें पतंजलि की ओर से थोड़ी जल्दबाजी हुई। सरकारी नियमों का पालन करना चाहिए था। दवाई लांच हो जाती है लेकिन सरकार को पता भी नहीं होता? ऐसा विरोधाभास ठीक नहीं?
योग के किन आसनों से कोरोना वायरस से निजात पायी जा सकती है?
विशेष प्राणायामों एवं क्रियाओं और प्रशिक्षित योग शिक्षकों के मार्गदर्शन में नियमित अभ्यास से कोरोना को भगाया जा सकता है। जैसे, सूर्य नमस्कार, भुजंगासन चक्रासन, सेतुबंध आसन, कुंजल क्रिया, नेति क्रिया एवं कपालभाति प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम, अनुलोम विलोम प्राणायाम आदि। इन योग आसनों के प्रभाव से मानव शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। इन प्राणायाम से फेफड़ों की शक्ति बढ़ती है और श्वसन तंत्र मजबूत होता है। साथ ही मानसिक शक्ति का भी विकास होता है और सकारात्मकता क्षमता में बढ़ोतरी होती है जिससे कोरोना बेअसर हो सकता है। ऐसा अभी तक एक भी केस सामने नहीं आया जो नियमित योग करता हो और उसे कोरोना हुआ हो।
-जैसा रमेश ठाकुर से योगाचार्य मंगेश त्रिवेदी ने कहा।