अमेरिका में कोरोना वैक्सीन तैयार कर रहे दल में शामिल डॉ. भानु सिंह का साक्षात्कार

By डॉ. रमेश ठाकुर | Sep 14, 2020

कोरोना की दवाई बनाने का दावा तो कई मुल्क कर रहे हैं। लेकिन अमेरिकन कंपनी गिलियड की मानें तो कोरोना की सबसे पहले दवा अमेरिका ही निर्मित करेगा। दवा का नाम है ‘रेमडेसिवीर'। अगर ऐसा हुआ तो समूची दुनिया को वैश्विक महामारी से निजात मिल जायेगी। कंपनी ने दवा का इस्तेमाल कोरोना संक्रमितों पर किया है जिसके शुरुआती क्लिनिकल परीक्षण सकारात्मक रहे। वैक्सीन के शोध में सैंकड़ों चिकित्सा वैज्ञानिक लगे हैं। हमारे लिए गर्व की बात यह है कि उस टीम का हिस्सा एक भारतवंशी भी हैं। उनका नाम है डॉ. भानु सिंह। डॉ. सिंह एक विश्व विख्यात वैज्ञानिक हैं जो वर्तमान में इंटरनेशनल फार्मा कंपनी गिलियड के दवा अनुसंधान और विकास विभाग में वरिष्ठ निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। कोरोना से लड़ने की दवा के संबंध में डॉ. रमेश ठाकुर ने उनसे विस्तृत बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य हिस्से-

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प्रश्न- फार्मा कंपनी ‘गिलियड’ ने कोरोना की वैक्सीन बनाने का दावा किया है?


जी हां। दावा नहीं, बल्कि हकीक़त है। रेमडेसिवीर वैक्सीन कोरोना पर सफलता हासिल करेगी। क्योंकि हम रेमडेसिवीर का पहला सफल ट्रायल कर चुके हैं। यह एक एंटी वायरस ड्रग है जिसका ट्रायल चीन भी असफल तरीके से कर चुका है। लेकिन हमने कामयाबी पाई है। अमेरिका में अप्रैल के पहले सप्ताह में पांच कोरोना पॉजिटिवों पर ट्रायल किया गया। रिजल्ट के तौर देखने में आया कि ट्रायल के बाद कोरोना वायरस ने उन मरीज़ों के भीतर अपने वायरस को और फैलाने में वृद्धि नहीं की। जितना वायरस पहले था वहीं तक रुका रहा। इसके बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे जारी रखने और शोध करने की अनुमति अनुसंधान को दी। तभी से पूरा संस्थान जल्द से जल्द वैक्सीन तैयार करने में जुटा हुआ है। उम्मीद है हम जल्द वैक्सीन तैयार कर लेंगे।


प्रश्न- वैश्विक महामारी के दौर में वैक्सीन बनने का मतलब समूची दुनिया को असीम राहत देने जैसे होगा?


उत्तर- बिल्कुल, इसमें कोई दो राय नहीं। चिकित्सीय विज्ञान में कोरोना से लड़ने को लेकर युद्धस्तर पर शोध जारी है। दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले अमेरिका इस वक्त सबसे ज्यादा प्रभावित है। अमेरिकी सरकार का पहला फोकस वैक्सीन बनाने पर है। दिन रात काम हो रहा है। अमेरिका की इंटरनेशनल फार्मा कंपनी गिलियड ने सबसे पहले शोध करके कोरोना वायरसों के लक्षणों की पड़ताल की है। शुरूआती जांच में पाया गया कि कोरोना भी दूसरे वायरसों की तरह है। इसलिए कोरोना वायरस से लड़ने में रेमडेसिवीर रामबाण साबित हो सकती है।

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प्रश्न- क्या ‘रेमडेसिवीर’ का इससे पहले भी किसी मर्ज पर परीक्षण किया गया है?


उत्तर- जी हां ‘रेमडेसिवीर' का सर्वप्रथम प्रयोग जानवरों में किया गया, जिसके परिणाम अच्छे आए थे। उसके बाद इस दवा का प्रयोग ‘इबोला वायरस’ में हुआ। उसमें भी सफलता मिली। कई वर्षों की रिसर्च के बाद इस वैक्सीन को तैयार किया है। लोगों की जिज्ञासा है कि ये दवा कोरोना के लिए किस तरह की निवारणधर्मी बन सकती है। दरअसल, यह दवा कोरोना वायरस की प्रतियाँ बनाने से रोकेगी, जिससे वायरस की परिणामी प्रतियों में उनके पूर्ण आरएनए जीनोम की कमी हो जाएगी। कुल मिलाकर कोरोना जैसे वायरसों में ‘रेमडेसिवीर’ को दो चरणों में इस्तेमाल किया जाएगा। दवा मामूली संक्रमण में एक दफे इस्तेमाल करना ही पर्याप्त रहेगी।

 

प्रश्न- किस रिसर्च संस्था में किया जा रहा है इस वैक्सीन पर शोध?


उत्तर- बीते साल दिसंबर में चीन के वुहान शहर में जब कोरोना वायरस ने दस्तक दी थी तभी से अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनर्जी एंड इन्फेक्शियस डिजीज में ‘रेमडेसिवीर’ पर नए सिरे से रिसर्च होना आरंभ हो गया था। सैंकड़ों चिकित्सीय वैज्ञानिकों की टीम कोरोना वायरस के मरीज़ों में ‘रेमडेसिवीर’ के जरिए अच्छे परिणाम लाने की गहन समीक्षा में लगी थी। परीक्षण से पता चला है कि रेमडेसिवीर रिकवरी टाइम को एक तिहाई तक घटा सकती है। यह दवा बढ़ती मौतों की दर को रोक भी सकती है। इससे यह लगभग साबित हो चुका है कि यह दवा वायरस को रोक सकती है। अमेरिका ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया टकटकी लगाए बैठी है कि कब ये दवा बनकर तैयार होगी।

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प्रश्न- यह बाजार में कब तक उपलब्ध हो सकेगी?


उत्तर- ये काम हुकूमतों का है। हमारा काम इसे तैयार करना है जिसमें अभी थोड़ा वक्त लगेगा। वैक्सीन कोई एकाध दिन में नहीं बनाई जा सकती, सालों लग जाते हैं। अमेरिका के अलावा इजराइल और अन्य देश भी कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने का दावा कर रहे हैं। खैर, वह तो वक्त ही बताएगा कि किसकी दवा ने कोरोना पर विजय पाई। देखिए, कोरोना से निपटने के लिए इस वक्त एंटी वायरस दवाओं की सख्त आवश्यकता है। ऐसे समय में रेमडेसिवीर के सकारात्मक परिणामों से यह उम्मीद जताई गई है कि ये दवा कोरोना वायरस की रोकथाम में कारगर साबित हो सकती है। वैक्सीन निर्माण में हर तरह की सतर्कता बरती जा रही है। साइड इफेक्ट के लक्षणों को भी देखा जा रहा है।


-डॉ. भानू सिंह ने जैसा डॉ. रमेश ठाकुर से फोन पर कहा।

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