कोरोना अभी गया नहीं है, जिस तरह की लापरवाही हो रही है वह देश को भारी पड़ सकती है

By रमेश सर्राफ धमोरा | Jul 23, 2021

विश्व स्वास्थ्य संगठन व दुनिया के बड़े वैज्ञानिक व चिकित्सा विशेषज्ञ सभी देशों को लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि वह अपने यहां लगाई गई पाबंदियों में ढील ना दें। दुनिया भर में जल्दी ही कोरोना की तीसरी लहर आने वाली है। कई देशों में तो कोरोना की तीसरी लहर प्रारंभ भी हो चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि तीसरी लहर में कोरोना का वायरस पहले से ज्यादा प्रभावी होगा, जिसके बड़े दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं। ब्रिटेन, अमेरिका, रूस समेत कई बड़े देशों में कोरोना के बढ़ते आंकड़े भारत के लिए चिंता बढ़ाने वाले हैं। दुनिया भर में कोरोना वैक्सीन लगाए जाने के बावजूद जिस तेजी से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। उससे इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि कोरोना की तीसरी लहर शुरू हो चुकी है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार लोगों को चेता रहे हैं कि बेवजह घरों से निकलकर अनावश्यक भीड़भाड़ इक्कठी ना करें। प्रधानमंत्री ने पहाड़ी क्षेत्रों के पर्यटन स्थलों पर उमड़ रही पर्यटकों की भीड़ पर भी नाराजगी जताते हुए उन राज्य सरकारों को चेताया है कि बड़ी संख्या में पर्यटक एकत्रित होकर कोरोना गाइडलाइन की पालना भी नहीं कर रहे हैं। ऐसे में वे स्वयं व घर आकर अपने परिवार के लोगों को भी संक्रमित करेंगे। इससे बचने का एकमात्र उपाय है अपने घरों पर ही रहे। कोरोना वायरस की दूसरी लहर अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। इसी बीच कई राज्यों से नए मामले बढ़ने की खबरें सामने आने लगी हैं।


केरल में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में केरल सरकार की ओर से बकरीद पर लॉकडाउन में ढील दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई व जमकर फटकार लगाते हुए कहा कि यह अफसोस की बात है कि राज्य सरकार व्यापारी संगठनों के दबाव में आ गई। उन इलाकों में भी दुकान खोलने की अनुमति दी जहां कोरोना दर 15 फीसदी से अधिक है और लोगों की जान को खतरे में डाल दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केरल सरकार ने बकरीद के अवसर पर इस तरह की छूट देकर देश के नागरिकों के लिए राष्ट्रव्यापी महामारी के जोखिम को बढ़ा दिया है।


कोरोना की दूसरी लहर के बाद किए गए सीरो सर्वे में देश के 68 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी पाई गई है। इसमें वो लोग भी शामिल हैं जिन्हें टीका लगाया जा चुका है। इसके बावजूद प्रतिदिन नये कोरोना मरीजों के आंकड़ों का 40 हजार के आसपास रुक जाना किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है। विशेषज्ञों ने चिंता जताते हुए कहा है कि कोरोना के आंकड़े जिस तरह से स्थिर हो गए हैं। उसे देखने के बाद संभावना है कि आंकड़ों में बहुत जल्दी बढ़ोत्तरी देखने को मिले। देश के 13 राज्यों में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। केरल, आंध्र प्रदेश, ओडिशा के अलावा पूर्वोत्तर के कई राज्यों में जिस तेजी से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं वो डराने वाले हैं।


देश में अभी प्रतिदिन 40 हजार कोरोना के नए केस मिल रहे हैं। जबकि देश में पहली बार संपूर्ण लॉकडाउन लगा था तब मात्र 85 कोरोना पॉजिटिव केस मिले थे। उससे तुलना करें तो वर्तमान स्थिति बहुत चिंताजनक है। देश में अभी तक तीन करोड़ नौ लाख के करीब कोरोना पॉजिटिव केस मिल चुके हैं। जिनमें से तीन करोड़ पांच लाख यानी 99 प्रतिशत कोरोना पॉजिटिव केस रिकवर हो चुके हैं। वही 4 लाख 20  हजार लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है जो एक प्रतिशत है। देश में अभी तक कोरोना के 35 करोड़ नमूने लेकर उनकी जांच की जा चुकी है। वर्तमान में भी प्रतिदिन 17 से 18 लाख कोरोना के नमूनों की देश में जांच की जा रही है।


पूर्वोत्तर के आठ प्रदेशों में कोरोना पॉजिटिव केसों में एकाएक बढ़ोतरी होना बड़ी चिंता का विषय है। कोरोना की पहली लहर में पूर्वोत्तर के आठ प्रदेश कोरोना से ज्यादा प्रभावित नहीं हुए थे। मगर इस बार वहां कोरोना का काफी प्रभाव देखने को मिल रहा है। अभी देश में कोरोना से प्रतिदिन होने वाली मौत का आंकड़ा 500 से अधिक है। कोरोना की दूसरी लहर गुजर जाने के बाद भी लगातार 40 हजार से अधिक पॉजिटिव केसों का मिलना व 500 लोगों की प्रतिदिन मौत पर काबू नहीं हो रहा है। ऐसे में यदि कोरोना की तीसरी लहर आ जाती है तो स्थिति एक बार फिर बिगड़ सकती है।

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कोरोना की दूसरी लहर में पूरे देश ने देखा था कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार पूरी तरह फेल हो गई थी। देश में ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार मचा था। यहां तक कि पानी के जहाजों से विदेशों से भी ऑक्सीजन मंगवानी पड़ी थी। दूसरी लहर के बाद देश के सरकारी व निजी अस्पतालों में तेजी से ऑक्सीजन गैस प्लांट लगाए जा रहे हैं जो काफी नहीं है। ऑक्सीजन के मामले में महाराष्ट्र सबसे पहले आत्मनिर्भर होने वाला राज्य बना है। देश के अन्य राज्यों को भी ऑक्सीजन उत्पादन के क्षेत्र में महाराष्ट्र मॉडल का अनुसरण करना चाहिए।


देश में अभी कोरोना की तीन कंपनियों की वैक्सीन उपलब्ध हैं जो पर्याप्त नहीं हैं। सीरम इंस्टीट्यूट की कोवोशिल्ड ही बड़ी मात्रा में उत्पादित हो रही है। भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का उत्पादन अभी बहुत कम है। रूस की स्पुतनिक वी अभी कम संख्या में ही आयात की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि वैक्सीन ही कोरोना का सबसे बड़ा बचाव का साधन है। मगर सरकार पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध नहीं करवा पा रही है। देश में मात्र 42 करोड़ लोगों को ही अभी तक वैक्सीन की एक डोज लगाई गई है।


कोरोना नियंत्रण की दिशा में महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु ने अभी तक लॉकडाउन के दौरान की गई पाबंदियों को पूरी तरह नहीं हटाया है। इस कारण वहां कोरोना नियंत्रण में बड़ी सफलता मिली है। पर्वतीय राज्य उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकारें होटल मालिकों के दबाव में पर्यटकों को लुभाने के लिए कोरोना गाइडलाइन की पालना नहीं करवा पा रही हैं। जो पूरे देश के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। देश के लोगों को अभी भी कोरोना गाइडलाइन का पूरी तरह पालन करना चाहिए ताकि सभी के सहयोग से कोरोना को मात दी जा सके।


-रमेश सर्राफ धमोरा

(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं। इनके लेख देश के कई समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहते हैं।)

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