लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कोविड-19 संक्रमित लोगों की संख्या शुक्रवार को 2328 हो गयी। स्वास्थ्य विभाग की ओर से देर शाम जारी बुलेटिन में बताया गया कि कोरोना संक्रमण के 116 नये मामले आने के साथ ही संक्रमित लोगों की संख्या बढकर 2328 हो गयी है। बुलेटिन में बताया गया कि कुल 655 लोगों को उपचार के बाद घर भेज दिया गया है जबकि 42 लोगों की कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से मौत हुई है। कुल सक्रिय मामलों की संख्या 1632 है। बुलेटिन के मुताबिक संक्रमण के मामलों में तबलीगी जमात और उनसे संबद्ध लोगों की संख्या 1117 है। बुलेटिन में कहा गया कि सबसे अधिक 14 लोगों की मौत आगरा में हुई है। मुरादाबाद में सात, मेरठ में पांच, कानपुर में चार, फिरोजाबाद में दो तथा गाजियाबाद, अमरोहा, बरेली, बस्ती, बुलंदशहर, लखनऊ, वाराणसी, अलीगढ़, मथुरा और श्रावस्ती में एक- एक व्यक्ति की मौत कोरोना की वजह से हुई है। बुलेटिन में कहा गया कि संक्रमण के सबसे अधिक 497 मामले आगरा में सामने आये। कानपुर में 222, लखनऊ में 214, सहारनपुर में 192, गौतमबुद्ध नगर में 154, फिरोजाबाद में 124, मुरादाबाद में 110, मेरठ में 105, गाजियाबाद में 65, वाराणसी में 61, बुलंदशहर में 51, रायबरेली में 44, अलीगढ़ में 35 और बिजनौर में 32 मामले सामने आये।
इससे पहले प्रमुख सचिव (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने संवाददाताओं को बताया, ये (कोविड-19) संक्रामक बीमारी है। यह जाति, धर्म, मजहब कुछ नहीं देखती। यह किसी को भी हो सकती है इसलिए अगर लक्षण आते हैं तो घबराये नहीं बल्कि तत्काल स्वास्थ्य केन्द्र में आयें और जांच करायें। प्रदेश सरकार जांच और चिकित्सा की सुविधा नि:शुल्क मुहैया करा रही है। प्रसाद ने कहा कि हेल्पलाइन नंबर 1800-180-5145 पर फोन करें और लक्षणों के आधार पर जितनी जल्दी स्वास्थ्य केन्द्र आएंगे, स्वस्थ होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। उन्होंने बताया कि जिनकी अधिक उम्र है, ऐसे कोरोना वायरस पॉजिटिव मरीज भी बिल्कुल ठीक होकर जा रहे हैं या जो पहले से गंभीर बीमारियों के शिकार थे, वे भी पूर्णतया उपचारित होकर गये हैं। प्रमुख सचिव ने कहा, परेशानी केवल उन्हें हो रही है जो आखिरी समय में अस्पताल आ रहे हैं इसलिए जैसे ही लक्षण नजर आयें, तत्काल अस्पताल आयें। उन्होंने आम जनता से अनुरोध किया कि उसे अपने इर्दगिर्द अगर ऐसे लक्षण वाले व्यक्ति मिलते हैं तो उसे बताइये। उनसे सामान्य व्यवहार करें। ना तो उनसे डरना है और ना ही उन्हें हीन दृष्टि से देखना है। ये बीमारी किसी को भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि कल प्रयोगशालाओं में 4177 नमूनों की जांच की गयी जबकि 3740 नये नमूने भेजे गये। प्रदेश में पूल टेस्टिंग लगातार हो रही है। पूल टेस्टिंग शुरू करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है।
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प्रसाद ने बताया कि कल 349 पूल की टेस्टिंग की गयी है और पूल में 1649 सैम्पल लगाये गये। इनमें से आठ पूल पॉजिटिव पाये गये। टेली परामर्श के बारे में प्रसाद ने कहा कि बहुत से लोग लॉकडाउन के चलते अस्पताल में नहीं जा पा रहे हैं। ऐसे में टेली—परामर्श अधिक से अधिक होना चाहिए। प्रसाद ने प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया से अनुरोध किया कि विभिन्न शहरों में जो डाक्टर टेली—परामर्श के लिए अपनी सेवाएं दे रहे हैं, उसे नियमित रूप से नि:शुल्क प्रचारित एवं प्रसारित करें। उन्होंने कहा कि डॉक्टर और उनके फोन नंबर देने चाहिए ताकि कोई भी बीमार व्यक्ति फोन कर सलाह ले सके। सरकारी और निजी दोनों ही डॉक्टर इस तरह की सुविधा दे रहे हैं। जितना अधिक टेली—परामर्श होगा, उतना ही घर से कम निकलना पडे़गा। दवा लेकर घर पर ही ठीक हो सकते हैं। प्रसाद ने कहा कि एल—1 अस्पताल मूलत: उन लोगों के लिए हैं, जिनमें कोरोना संक्रमण के बहुत हल्के लक्षण हैं या लक्षण है ही नहीं। एल-2 और एल-3 अस्पताल उन लोगों के लिए हैं, जिनकी स्थिति गंभीर है। छोटे बच्चे, अधिक उम्र वाले या पहले से गंभीर रूप से बीमार लोगों को एल-2 या एल-3 अस्पताल में भर्ती करना चाहिए। संवाददाता सम्मेलन में मौजूद अपर मुख्य सचिव (गृह एवं सूचना) अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा कि पूल टेस्टिंग का काफी लाभ मिला है ... एक बार में पता लग जाता है कि कौन से पूल में कौन से लोग संक्रमित हैं या नहीं हैं। अवस्थी ने बताया कि गुणवत्तापरक टेस्टिंग और पूल टेस्टिंग मजबूत करने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सीडीआरआई, आईआईटीआर और बीएसआईपी में टेस्टिंग कराने के लिए माइक्रोबायोलाजिस्ट और अन्य संसाधनों की व्यवस्था की जाए।