भाजपा के साथ ‘‘सौहार्दपूर्ण संबंध’’ हैं, हमेशा PM मोदी के नेतृत्व का समर्थन किया: चिराग
By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 06, 2020
नयी दिल्ली।
बिहार में
राजग से अलग होने के बाद लोक जनशक्ति पार्टी (
लोजपा) के अध्यक्ष
चिराग पासवान ने मंगलवार को जोर दिया कि उनका
भाजपा के साथ बहुत सौहार्दपूर्ण संबंध है। साथ ही उन्होंने कहा कि वह 2014 से ही प्रधानमंत्री के साथ मजबूती से खड़े हैं जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व का विरोध करते हुए गठबंधन छोड़ दिया था। चिराग पासवान ने पीटीआई-के साथ एक साक्षात्कार में यह भी कहा कि वह लंबे समय से अपने बिहार पहले, बिहारी पहले एजेंडा पर काम कर रहे हैं और नीतीश कुमार नीत सरकार के साथ अपने मतभेदों के बारे में काफी पहले ही भाजपा नेतृत्व को सूचित कर दिया था। हालांकि, उन्होंने किए जा रहे इस दावे पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया कि जद (यू) को निशाना बनाने के लिए उनका भाजपा से गुप्त समझौता है।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में भाजपा को जवाब देना है। इस सवाल पर कि राज्य में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) छोड़ने के बाद लोजपा और भाजपा के संबंध कैसे हैं, पासवान ने कहा, मेरे भाजपा के साथ काफी सौहार्दपूर्ण संबंध हैं। मैंने कहा है कि भाजपा के साथ हमारा कोई कटुता नहीं है। लोजपा अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद दिया जिन्होंने उनका उस समय ‘ख्याल’ रखा जब उनके पिता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान हफ्तों से अस्पताल में हैं। पासवान ने कहा कि एक भी दिन ऐसा नहीं रहा है जब मोदी ने उनके पिता के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी नहीं ली हो। उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की भी प्रशंसा की। रामविलास पासवान का राष्ट्रीय राजधानी के एक निजी अस्पताल में हृदय का ऑपरेशन हुआ है। चिराग ने कहा कि उनकी पार्टी केंद्र में भाजपा नीत राजग का हिस्सा बनी रहेगी।
चिराग ने मोदी के नेतृत्व के प्रति अपने समर्थन को रेखांकित करते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने 2014 में लोकसभा चुनावों के दौरान उनका समर्थन किया था जब वह राजग की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थेजबकि नीतीश कुमार ने उनकी उम्मीदवारी के विरोध में गठबंधन छोड़ दिया था। उन्होंने कहा, 2014 में जब मैंने पहली बार चुनाव लड़ा था, उस समय से ही प्रधानमंत्री का समर्थन, उन पर विश्वास और उनकी प्रशंसा करता रहा हूं। वहीं नीतीश कुमार बार-बार पलटी मारते रहे हैं। पहले लालू प्रसाद से हाथ मिलाया और बाद में 2017 में राजग में आ गए। वह राज्य के विकास के लिये काम करने के बजाय यही सोचते रहते रहते हैं कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहा जाए।’’ राजनीतिक गतिविधियों और चुनाव अभियान से अपने पिता के दूर होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह उनके मार्गदर्शन की कमी को महसूस करते हैं लेकिन केंद्रीय मंत्री इस समय ऐसी स्थिति में नहीं हैं जहां वह संवाद कर सकें।