H1B Visa से जुड़ा विवाद क्या है? भारतीयों को लेकर क्यों आमने सामने आ गए ट्रंप और मस्क

By अभिनय आकाश | Dec 31, 2024

पुरानी कहावत है कि अभी गांव बसा नहीं और फसाद पहले ही शुरू हो गए। 20 जनवरी का दिन जब अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप शपथ लेंगे। लेकिन ट्रंप के शपथ लेने से पहले ही नया बवाल मचा है। पूरी कहानी समझने से पहले आपको थोड़ा बैकग्राउंड में लिए चलते हैं। ट्रंप जब इलेक्शन में गए थे तब उन्होंने मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (मागा) का नारा दिया। इसमें उन्होंने बताया कि  मेक अमेरिका ग्रेट अगेन तब होगा जब अमेरिकन्स के द्वारा अमेरिकियों को ही नौकरी दी जाएगी। लेकिन इस पूरी कहानी में एन1बी वीजा सबसे बड़ी बाधा बना। दरअसल, अमेरिका हर साल लगभग 65 हजार से 85 हजार के बीच में स्किल्ड लेबर्स को तीन साल तक अपने यहां काम करने की परमिशन देता है। इसी परमिशन को जिस नाम पर दिया जाता है उसे एच1बी वीजा कहते हैं। 

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क्या है एच1बी वीजा का विवाद

उदाहरण के लिए अगर आप किसी के घर जाते हैं तो डोर बेल बजाकर उसे सूचित करते हैं और ये एक तरह का may i come in वाला जेस्चर होता है। ऐसा ही कुछ आप किसी देश में जाते हैं तो उसी परमिशन को वीजा कहा जाता है। अगर आपको किसी देश में जाना है तो वहां की एबेंसी से परमिशन लेनी होती है। इस दौरान पूछा जाता है कि आप क्यों जाना चाहते हैं। काम करने, रहने या घूमने के लिए। स्थायी रूप से वहां रहने के लिए जाने वाली अनुमति को इमीग्रेंट परमिशन कहते हैं। अक्सर ऐसी परमिशन नहीं दी जाती है। अमेरिका किसी भी बाहर वासी को इंटरटेन नहीं करता है। लेकिन घूमने जाने वाले को गैर अप्रवासी कहा जाता है और अलग अलग सीमा के साथ उन्हें परमिशन दी जाती है। ऐसे ही अमेरिका में काम करने के लिए एच1बी वीजा के तहत परमिशन मिलती है। जिसमें गैर अप्रवासी जो स्किल्ड हैं, उन्हें एक बार में तीन साल तक वहां काम करने की परमिशन होती है। वो वहां न केवल खुद काम कर सकते हैं बल्कि अपने साथ अपने परिवार को ले जा सकते हैं। इतना बड़ा बैकग्राउंड बताने के पीछे का मकसद ये है कि इसी एच1बी वीजा के चक्कर में अमेरिका में बवाल मचा है। 

ओबामा से लेकर बाइडन तक नेता चिंता जताते रहे

अमेरिकी सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज यह वीजा जारी करती है। टेक्नॉलजी, मेडिसिन और बिजनेस में बेहद कुवाल लोगों को यह अस्थायी वर्षी दीजा जारी किया जाता है। 2023 में जारी हुए 2 लाख 65 हजार वीजा में सबसे ज्यादा 72.3% हिस्सा भारतीयों को मिला। करीब 12% चीजा चीनियों को मिले। इस वीजा के जरिए मुख्य रूप से 17 कंपनियां अमेरिका में अपनी क्लाइंट कंपनियों के काम के लिए भारतीय इंजिनियरों को भेजती है, जो अमेरिकी इंजिनियरों ज्यादा कुशल होने के साथ उनके मुकाबले कम वेतन में काम करते हैं। 2023 में इन्फोसिस, TCS, HCL और विपो को करीब 20,000 H-1B वीजा की मंजूरी मिली थी। अमेरिका के लिए भी यह वीजा अहम है क्योंकि गणित और विज्ञान जैसे विषयों में अमेरिकी लोग भारत और चीन के लोगों से काफी पीछे हैं, जिसे लेकर बराक ओबामा से लेकर बाइडन तक, तमाम नेता चिंता जताते रहे हैं। 

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कैसे उठा पूरा मामला?

खुद ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में बखेड़ा खड़ा किया था। तब भारत की ओर से दिए वीजा आवेदन बड़ी संख्या में खारिज किए गए। हाल यह हुआ कि खुद पीएम मोदी ने ट्रंप के सामने तीन अलग- अलग मौकों पर यह मुद्दा उठाया। ताजा विवाद उठा है भारतवशी श्रीराम कृष्णन की नियुक्ति पर। ट्रंप ने अपने प्रशासन में एआई नीति की कमान संभालने का जिम्मा कृष्णन को सौपा। कृष्णन को एच1बी वीजा समर्थक माना जाता है। दक्षिणपंथी भी और टूर की करीबी मानी जाने वाली लॉरा लूमर ने इसका विरोध किया। लौरा ने एक्स पर लिखा कि यह संच अमेरिका फस्र्ट नहीं है। इसके बाद ट्रप ही देशाड़ हो गई। एक खेमा एच-1बी पर बैन सामने की मांग कर रहा है, दूसरा इसके खिलाफ है।

मस्क का पक्ष क्या है?

मस्क ने ऐसे दावे करने वालों को बेवकूफ करार देते हुए कहा कि इस वीजा के जरिए दुनिया का टॉप 0.1% इंजिनियरिंग टैलेंट' अमेरिका आता है। उन्होंने लिखा, 'स्पेसर, टेस्ला और सैकड़ों दूसरी कंपनियों ने अमेरिका करें मजबूत बाया है। मैं भी H-1B वीजा के चलते ही अमेरिका में हूं। उन्होंने कहा कि वीजा प्रोग्राम के समर्थन में वह जंग छेड़ने के स्तर पर भी जा सकते है।

एलन मस्क के सामने झुक गए ट्रंप 

आज अगर डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने हैं तो उसमें एलन मस्क का बहुत बड़ा योगदान है। एलन मस्क ने ट्रंप के लिए ही पूरे ट्विटर को खरीद लिया। ट्विटर ने कभी ट्रंप के अकाउंट को ही हटा दिया था। इससे उन्हें बेइज्जती भी महसूस हुई थी और बदले में ट्रंप ने अपना ट्रूथ सोशल प्लेटफॉर्म भी शुरू किया था। एलन मस्क ने ट्विटर खरीदने के बाद ट्रंप के एकाउंट को भी बहाल किया। मस्क ट्रंप के गहरे विस्वत व्यक्तियों में से एक माने जाते हैं। पूरे चुनाव में ट्रंप के खिलाफ बड़े बड़े बुद्धिजीवी खड़े थे। माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां ट्रंप की खिलाफत कर रही थी। एलन मस्क ने अपनी तरफ से ट्रंप का खुलेआम समर्थन ही नहीं किया बल्कि चुनाव में 2 हजार करोड़ से ऊपर का फंड भी दिया। लेकिन एच1बी वीजा ने दोनों के बीच रार पैदा कर दी है। 

मस्क के बयान के बाद बदले ट्रंप के सुर

ट्रंप ने इस बार मीडिया से बात करते हुए कहा है कि मैंने तो हमेशा से ही एच 1 बी वीजा को पसंद किया है, मैं हमेशा से ही इसका पक्षधर रहा हूं। इसी वजह से तो हमने इसे जारी रखा है। मेरी प्रॉपर्टी पर खुद कई के पास एच 1 बी वीजा है। मैं तो इस पॉलिसी में पूर्ण विश्वास रखता हूं, खुद इसका कई बार इस्तेमाल किया है। यह एक बेहतरीन योजना है। अब कहा जा रहा है कि अमेरिका फर्स्ट से ट्ंप मस्क फर्स्ट पर शिफ्ट हो गए हैं। ट्रंप क्योंकि खुद एक उद्योगपति रहे हैं, उनकी राजनीति भी उसी के इर्ग-गिर्द घूमती है। वे कई ऐसे बदलाव चाहते हैं जिनमें उद्योगपतियों का समर्थन जरूरी रहेगा। ऐसे में एलन मस्क को साथ रखना उनके लिए जरूरी है। 

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