उत्तर प्रदेश में भी किसान आंदोलन के लिये जमीन तैयार की जा रही है। देश के कई हिस्सों खासकर बीजेपी शासित कुछ राज्यों में किसान आंदोलन की आग भड़का कर अपनी सियासी रोटियां सेंकने में कामयाब रही कांग्रेस और अन्य विरोधी दलों को लगने लगा है कि यह ऐसा मुद्दा है जिससे 2019 की राह आसान हो सकती है। किसानों को भड़काना मुश्किल भी नहीं है क्योंकि अब अन्नदाता भी खेत खलिहान से निकल कर सियासत के दांवपेंच अपनाने लगा है। अपने हित साधने के लिये वह कभी किसी दल के साथ खड़ा हो जाता है तो कभी किसी और के साथ चला जाता है। अक्सर ही किसान अपनी ताकत के बल पर सरकारों को झुकाने के पराक्रम करते दिख जाते हैं। इसके पीछे कभी मजबूरी तो कभी मौके का फायदा उठाने के मंसूबे होते हैं।
किसानों की आर्थिक स्थिति सही नहीं है। इसके कई कारण हो सकते हैं। सरकार के ऊपर भी इस बात का ठीकरा फोड़ा जा सकता है और किसानों को भी अपनी दुर्दशा के लिये माफ नहीं किया जा सकता है। यह सच है कि कृषि और किसान काफी हद तक प्राकृतिक कारणों से प्रभावित होते रहते हैं तो सच्चाई यह भी है कि भारतीय किसानों ने समय के साथ अपने आप को नहीं बदला, इसी वजह से अन्य देशों के किसानों के मुकाबले भारत का किसान और उसकी सोच काफी पिछड़ी हुई नजर आती है। भारतीय किसान मेहनत भले ज्यादा करता हो लेकिन उसके काम का तरीका और सोच वैज्ञानिक कम रूढिवादी अधिक है। किसानों के लिये कर्ज लेना और उसका समय पर भुगतान नहीं करना तो मानो फैशन ही बन गया है या उसे यह उम्मीद रहती है कि एक न एक दिन उसका कर्ज माफ हो ही जायेगा। किसानों को कर्ज माफी की उम्मीद रहती है तो नेताओं को इसमें वोट बैंक की सियासत नजर आती है।
सियासी फायदे की वजह से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि राज्यों के साथ−साथ उत्तर प्रदेश में भी किसानों की भावनाओं को भड़काया जा रहा है। किसानों के बीच कहीं नाराजगी की छोटी सी भी चिंगारी दिखाई पड़ती है तो नेता उसे शोला बनाने में लग जाते हैं। इस बात की भनक जैसे ही योगी सरकार को लगी वह एलर्ट हो गई। सीएम योगी चुनावी वायदे को पूरा करने के लिये बजट पास कराकर किसानों का कर्ज माफ किये जाने की बात कह रहे हैं तो उन्होंने सभी बैंकों को स्पष्ट निर्देश भी दे दिए कि सरकार का बजट पास होने तक वे इस योजना से लाभाविन्त होने वाले किसानों को ऋण अदायगी के लिए कोई नोटिस न जारी करें।
पूरे देश में किसानों के गुस्से को भांपते हुए मोदी सरकार को भी किसानों के हित में एक बड़ा फैसला लेना पड़ गया। इस फैसले के तहत अब किसानों को कर्ज के ब्याज पर ज्यादा छूट मिलेगी। इसका फायदा उन किसानों को मिलेगा जो एक साल में कर्ज को चुकाएंगे। मोदी सरकार के इस फैसले के तहत किसानों को कर्ज के ब्याज पर अब पहले के मुकाबले ज्यादा छूट मिलेगी। किसानों को तीन लाख तक के ऋण पर ब्याज में यह छूट मिलेगी। ब्याज में छूट तीन फीसदी से बढ़ाकर पांच फीसदी की गयी है। इसका फायदा उन्हीं किसानों को मिलेगा जो एक साल में ऋण चुकता करेंगे। कैबिनेट के इस फैसले से केंद्र पर 19 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा।
दूसरी तरफ किसान आंदोलन की संभावनाओं को देखते हुए प्रदेश सरकार ने कानून−व्यवस्था के मोर्चे पर सतर्क रहने के निर्देश जारी किए हैं। शासन की तरफ से जारी अलर्ट के मुताबिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विशेष सतर्कता बरतते हुए सीमावर्ती इलाकों पर चौकसी बढ़ाने की सलाह दी गई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर सहित कई जिले गन्ना किसानों के चलते बवाल की आशंका में घिरे रहते हैं। इधर, हाल में ही सहारनपुर की घटनाएं शासन−प्रशासन के लिए पहले से ही सिरदर्द बनी हुई है। बिजनौर, मुरादाबाद, बरेली सहित कई जिलों में धार्मिक व वर्ग संघर्ष की घटनाएं होने से संवेदनशील स्थिति में हैं।
सरकार यह भी जानती है कि कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल जैसे अन्य कुछ दल व उनके नेता और असामाजिक तत्व किसानों के हितों की आड़ में प्रदेश का माहौल खराब करने का प्रयास कर रहे हैं। इसी के मद्देनजर सभी डीएम−एसएसपी को सावधानी बरतने और घटनाक्रम की जानकारी शासन तक तुरंत देने की हिदायत दी गई है। एलआईयू को सटीक जानकारियां जुटाने के निर्देश दिए गए हैं। पीएसी, आरआरएफ जैसे रिजर्व पुलिस बल को भी अलर्ट मोड में रहने को कहा गया है। प्रमुख सचिव गृह के अलावा डीजीपी व एडीजी कानून−व्यवस्था पर खुद नजर रखेंगे।
- अजय कुमार