By दिनेश शुक्ल | Oct 27, 2020
भोपाल। कांग्रेस पार्टी को न न्यायालय पर विश्वास है, न चुनाव आयोग पर। संवैधानिक संस्थाओं का अपमान करना कांग्रेस की पुरानी आदत रही है। कमलनाथ और दिग्विजयसिंह ने जिस तरह से प्रदेश के अधिकारी-कर्मचारियों को धमकाया है, जिस तरह से मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी पर दबाव बनाने का प्रयास किया है, यह एक आपराधिक कृत्य है और भारतीय जनता पार्टी इन नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करती है। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने मंगलवार को मीडिया से चर्चा करते हुए कही।
इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने भाजपा प्रतिनिधिमंडल के साथ मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं दिग्विजय सिंह द्वारा सरकारी अधिकारियों एवं चुनाव आयोग पर दबाव बनाकर शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न करने की शिकायत की। साथ ही कांग्रेस नेता द्वय द्वारा सरकारी कर्मचारियों पर अपमानजनक टिप्पणी किए जाने की शिकायत करते हुए कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के चुनाव प्रचार पर रोक लगाने की मांग की। एक अन्य शिकायत में प्रतिनिधिमंडल ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरूण यादव एवं पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया द्वारा पार्टी के वरिष्ठ नेता, राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल करते हुए उन पर तथ्यहीन, झूठे आरोप लगाए जाने की शिकायत की है। प्रतिनिधिमंडल ने अरूण यादव और लखन घनघोरिया पर कार्यवाही की मांग की।
वही प्रेसवार्ता में विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि चुनाव आयोग के अधीन काम कर रहे प्रदेश के सरकारी अधिकारी/कर्मचारियों के प्रति कांग्रेस नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने जिस तरह की भाषा का प्रयोग किया है, जिस तरह से उन्हें 10 तारीख के बाद देख लेने की धमकी दी है, वह ईमानदारी से काम कर रहे इन कर्मचारियों की निष्ठा पर संदेह जताने जैसा है, आचार संहिता का उल्लंघन है और एक आपराधिक कृत्य भी है। इसके साथ ही कांग्रेस के नेताओं ने जिस तरह से मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की शिकायत कर दबाव बनाने का प्रयास किया है, उससे लगता है कि कांग्रेस किसी षडयंत्र के तहत एक संवैधानिक संस्था पर दबाव बनाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस नेताओं के इस रवैये की शिकायत प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से की है और चुनाव आयोग, दिल्ली में भी शिकायत की जा रही है। पार्टी की मांग है कि इन नेताओं को चुनाव प्रचार से पृथक किया जाए और इनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। शर्मा ने कहा कि कांग्रेस नेताओं के रवैये से स्पष्ट है कि वे अपने षडयंत्रों में सफल नहीं हो पा रहे हैं, इसलिए बुरी तरह बौखला गए हैं।
प्रदेश अध्यक्ष शर्मा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा प्रत्याशी श्रीमती इमरती देवी के लिए जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया था, उसकी शिकायत पार्टी की ओर से चुनाव आयोग को की गई थी। इस मामले की जांच में आयोग ने कमलनाथ के शब्दों को आपत्तिजनक पाया है और उन्हें कड़ी चेतावनी दी है कि भविष्य में इस तरह के शब्दों का प्रयोग न करें। शर्मा ने कहा कि आयोग की चेतावनी का अर्थ है कि कमलनाथ दोषी हैं और आयोग ने उन्हें दंडित किया है। इससे यह भी साबित होता है कि भारतीय जनता पार्टी की शिकायत सही थी। उन्होंने कहा कि अपने अहंकार के चलते कमलनाथ अपने शब्दों की व्याख्या करते रहे, पार्टी के नेता राहुल गांधी के कहने पर भी उन्होंने माफी नहीं मांगी। अब चुनाव आयोग की चेतावनी से स्पष्ट है कि वे दोषी हैं और उन्हें प्रदेश की साढे सात करोड़ जनता तथा देश की नारीशक्ति से अपने इस कृत्य के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए, वर्ना प्रदेश की जनता उन्हें जवाब देगी।
शर्मा ने कहा कि हाल ही में कमलनाथ जी की ओर से यह कहा गया था कि वे न किसी के मामा हैं और न किसी घोटाले में उनका नाम आया है। प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि यह सही है कि कमलनाथ जी हमारे नेता शिवराजसिंह चौहान की तरह गरीब बच्चियों के, प्रदेश की जनता के, किसानों के मामा नहीं हैं, वे तो रतुल पुरी के मामा हैं, जिनका नाम 7600 करोड़ के अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में आया है। निवेशकों के पैसे के 787 करोड़ रुपये के घोटाले में भी उनका नाम है। यही नहीं, बल्कि इन घोटालों के छींटे कमलनाथ पर भी पड़े हैं। शर्मा ने कहा कि प्रदेश की जनता कमलनाथ जी से यह जानना चाहती है कि वे घोटालेबाज रतुल पुरी के मामा हैं या नहीं? शर्मा ने कहा कि कमलनाथ जी ने हाल ही में कहा था कि वे उद्योगपति नहीं हैं, जबकि उनकी पार्टी के ही एक साथी ने उन्हें देश का नं.2 उद्योगपति बताया था। शर्मा ने कहा कि कमलनाथ जी से प्रदेश की जनता यह पूछना चाहती है कि यदि वे उद्योगपति नहीं है, तो उनके पास जो हजारों करोड़ की संपत्ति है, क्या वो दलाली करके कमाई गई है ?