कोल्हापुर की सभी सीटों पर कांग्रेस के सामने आगामी विधानसभा चुनावों में होगी गढ़ बचाने की चुनौती

By Anoop Prajapati | Aug 13, 2024

महाराष्ट्र की राजनीति में कांग्रेस के दबदबे वाली सीट कोल्हापुर एक प्रमुख निर्वाचन क्षेत्र है। जहां से कांग्रेस के छत्रपति शाहू महाराज पिछले चुनाव में सांसद चुने गए थे। इसके पहले यह सीट शिवसेना के कब्जे में थी। कोल्हापुर क्षेत्र के गौरवशाली इतिहास की गवाही यहाँ का पनहला किला देता है। इस किले की शांति और प्राकृतिक खूबसूरती के कारण भारत समेत पूरी दुनिया भर से पर्यटक इसकी ओर खिंचे चले आते हैं। राजा भोज ने इस किले का निर्माण 1052 ईस्वी में करवाया था। इसके बाद यह क्षेत्र 1782 तक पनहला की रानी ताराबाई के राज्य की राजधानी भी रहा। यहाँ पशु-पक्षियों की सुरक्षा के लिए बना दाजीपुर बिसन सेंचुरी भी पर्यटकों की पसंदीदा जगह में से एक है। इस क्षेत्र की कोल्हापुरी हस्तशिल्प पूरे देश में प्रसिद्ध है। इसके अलावा कोल्हापुरी चप्पल के कारण भी देश और दुनिया में यह क्षेत्र अपना एक अलग स्थान रखता है। कोल्हापुर संसदीय क्षेत्र का प्रमुख शैक्षणिक संस्थान शिवाजी विश्वविद्यालय है।


कोल्हापुर लोक सभा कोल्हापुर जिले की चांदगढ़, राधा नगरी, कागल, कोल्हापुर दक्षिण, करवीर और कोल्हापुर उत्तर विधानसभाओं को मिलकर बना है। चांदगढ़ महाराष्ट्र विधानसभा की एक प्रमुख विधानसभा सीट है। देश में हुए प्रथम आम चुनाव के दौरान 1952 से ही निर्वाचन क्षेत्र बना, चांदगढ़ विधानसभा सीट पर पहले कांग्रेस और अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने अपनी पकड़ मजबूत बना रखी है। वर्तमान में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राजेश नरसिंह राव पाटिल यहां के विधायक हैं। पिछले दो चुनावों में भी एनसीपी के ही बाबासाहेब कुपेकर और संध्या देवी कुपेकर यहां से विधायक चुनी गई थीं। 


इस लोकसभा क्षेत्र की दूसरी प्रमुख विधानसभा की सीट राधा नगरी है। जहां से शिवसेना (शिंदे गुट) के प्रकाश आबिटकर वर्तमान विधायक हैं। उन्होंने यह सीट 2014 के विधानसभा चुनावों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के कृष्ण राव पाटिल से छीनी थी। महाराष्ट्र राज्य की विधानसभा में 273 नंबर सीट वाली कागल विधानसभा क्षेत्र राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के गढ़ के रूप में जानी जाती है। यह सीट पूरी तरह से कोल्हापुर जिले के अंतर्गत ही आती है। एनसीपी के हसन मुसरिफ लगभग 25 साल से लगातार विधायक बने हुए हैं। उन्हें एकनाथ शिंदे की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया है। वर्तमान में वे मेडिकल शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। एनसीपी से पहले यहां भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सबसे मजबूत पार्टी थी। इन दोनों पार्टियों के अलावा कोई तीसरी पार्टी इस क्षेत्र में अब तक अपना खाता खोलने में असफल रही है।


2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आयी कोल्हापुर दक्षिण विधानसभा सीट कोल्हापुर जिले के तहत ही आती है। यहां से वर्तमान विधायक कांग्रेस पार्टी के ऋतुराज पाटील है। उनसे पहले भारतीय जनता पार्टी के अमल महादिक भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं। अमेरिका से अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले ऋतुराज त्रिपुरा, बिहार और पश्चिम बंगाल के पूर्व गवर्नर रहे पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित डीवाई पाटिल के पोते हैं। 


पूर्व दिग्गज कांग्रेसी दिग्विजय भाऊसाहेब खानविकर के कारण महाराष्ट्र में प्रसिद्ध करवीर विधानसभा सीट कोल्हापुर जिले के अंतर्गत ही आती है। 1972 से अस्तित्व में आने के बाद से 1999 तक इस क्षेत्र के मतदाताओं ने हमेशा से कांग्रेस पार्टी पर अपना भरोसा जताया था। जिसके चलते लगातार पांच बार दिग्विजय भाऊसाहेब खानविकार विधायक रहे थे। 1999 में वे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के टिकट पर विधानसभा पहुंचे थे। वर्तमान में सीट का प्रतिनिधित्व कांग्रेस के पीएन पाटिल कर रहे हैं। वे महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष भी हैं। लोकसभा क्षेत्र कोल्हापुर के तहत आने वाली कोल्हापुर उत्तर विधानसभा सीट 2009 के चुनाव में अस्तित्व में आयी है। यहां से शिवसेना के राजेश क्षीरसागर दो बार विधायक चुने गए थे। तो वहीं, वर्तमान में कांग्रेस की जयश्री चंद्रकांत जाधव यहां से वर्तमान विधायक हैं। जयश्री के पति चंद्रकांत जाधव 2019 में इस क्षेत्र से विधायक चुने गए थे, जिनका 2019 में कोरोना के कारण निधन हो गया था।


कोल्हापुर संसदीय सीट पर पहला आम चुनाव साल 1952 को हुआ। यह सीट हमेशा से ही कांग्रेस पार्टी का गढ़ रही है। यहां से कांग्रेस ने 10 बार जीत हासिल की है। कांग्रेस के उदयसिंगराव गायकवाड़ सबसे ज्यादा 5 बार इस सीट से सांसद चुने गए। वहीं, सदाशिवराव मांडलिक 3 बार सांसद चुने गए। वह एक बार कांग्रेस, दो बार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी वहीं, एक बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सांसद बने हैं। साल 1952 में इस सीट से कांग्रेस के रत्नप्पा कुंभार सांसद बने। 1957 में यहां से भाऊसाहेब महागांवकर चुने गए। वह भारत की किसान एवं श्रमिक पार्टी के चुनाव निशान पर चुनाव लड़े थे। साल 1962 में कांग्रेस के वीटी पाटिल, 1967 में कांग्रेस के ही शंकरराव माने और 1971 में राजाराम निंबालकर चुनाव जीते। 1977 में भारत की किसान एवं श्रमिक पार्टी से दाजीबा देसाई सांसद बने। फिर साल 1980, 1984, 1989, 1991 और 1996 में कांग्रेस के उदयसिंगराव गायकवाड़ कांग्रेस पार्टी से लगातार 5 बार संसदीय चुनाव जीते हैं।



1998 में कांग्रेस से सदाशिवराव मांडलिक चुनाव लड़े और जीते। 1999 में वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और इसी पार्टी से 1999 और 2004 का फिर से चुनाव जीते। 2009 में सदाशिवराव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरे और जीत दर्ज की। इसके बाद साल 2014 में धनंजय महाडिक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से चुनाव जीते। संजय मांडलिक एक बार फिर साल 2019 में इस सीट पर शिवसेना के लिए चुनाव जीतने में कामयाब हुए। हालांकि इस बार शिवसेना और एनसीपी दोनों ही पार्टियां दो धड़ों में बंट चुकी हैं। इसलिए विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बढ़त बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।

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