By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 17, 2019
मुंबई। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने महाराष्ट्र कांग्रेस का बचाव करते हुए कहा है कि यह ‘कमजोर नहीं’ है और जमीनी स्तर पर बड़ी ही सक्रियता से काम कर रही है। पवार ने इस दावे को खारिज कर दिया कि विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस धारणा की लड़ाई में पिछड़ रही है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को रद्द करने के भाजपा नीत केंद्र सरकार के फैसले का राज्य में जमीनी स्तर पर लोगों पर कोई असर नहीं दिख रहा। पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में लोग बदलाव के मूड में हैं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे की इस टिप्पणी को भी खारिज कर दिया कि कांग्रेस और राकांपा थक गई है। भाजपा नेताओं का कहना है कि पवार के अलावा महाराष्ट्र से विपक्ष का कोई भी नेता चुनाव प्रचार में नहीं दिख रहा है, जिसका यह मतलब है कि प्रदेश कांग्रेस धारणा की लड़ाई में पिछड़ रही है। पवार ने कहा कि मुझे ऐसा नहीं लगता। कांग्रेस महाराष्ट्र में जमीनी स्तर पर बखूबी संगठित है। मैंने कई स्थानों पर देखा है कि कांग्रेस कार्यकर्ता सक्रियता से काम कर रहे हैं। दोनों पार्टियां राज्य विधानसभा चुनाव गठबंधन कर लड़ रही है।
पवार ने कहा कि सिर्फ यह अंतर है कि उधर (भाजपा की ओर से) प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी), केंद्रीय गृह मंत्री (अमित शाह) हैं, बड़े-बड़े नेता हैं। जबकि कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व राज्य (महाराष्ट्र) से नहीं आते...महाराष्ट्र से राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस का कोई नेता काम नहीं कर रहा है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि कांग्रेस कमजोर है। कांग्रेस के पास कार्यकर्ताओं की एक बड़ी फौज है जो जमीनी स्तर पर अच्छा काम करते हैं। शिंदे की टिप्प्णी के बारे में पूछे जाने पर राकांपा प्रमुख ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से थक गये होंगे। उन्होंने मेरा नाम भी लिया। वह थक गये होंगे, लेकिन मैं नहीं।
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उन्होंने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाला से जुड़े धन शोधन के मामले में ईडी द्वारा खुद को नामजद किये जाने और एक अन्य मामले में पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल को तलब किये जाने के समय पर भी सवाल उठाया। पवार ने धन शोधन के मामले में राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा नामजद और तलब किये जाने को लेकर भी राजग सरकार पर शक्तियों के दुरूपयोग करने का आरोप लगाया। पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि पुलवामा में फरवरी में हुए आतंकी हमले के बाद लोगों के बीच बनी भावना का फायदा लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिला। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत प्रचार किया था।
हालांकि, उन्होंने कहा कि लोग आमतौर पर उस वक्त एकजुट हो जाते हैं जब राष्ट्रीय आपदा होती है। जैसा कि हमने 1971 में (भारत-पाक युद्ध के दौरान) देखा। उन्होंने पिछले साल राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हुए चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि लोग लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनावों में अलग-अलग तरह से वोट करते हैं।