By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 12, 2023
असम विधानसभा ने मंगलवार को एक निजी संकल्प खारिज कर दिया, जिसमें संसद से महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी देने के आग्रह की मांग की गयी थी। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने तर्क दिया कि यह मुद्दा राज्य विधानमंडल के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। कांग्रेस विधायक शिवमणि बोरा ने उस विधेयक के संबंध में प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का वादा किया गया है। उन्होंने कहा कि पंचायतों और शहरी निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण सुनिश्चित किया गया है, लेकिन सच्चा राजनीतिक सशक्तीकरण तभी हो सकता है जब अधिक महिलाएं संसद में प्रतिनिधित्व करें।
बोरा ने बताया कि मौजूदा असम विधानसभा में 126 सदस्यों में से छह महिलाएं हैं, जबकि जनसंख्या के अनुपात के अनुसार महिला विधायकों की संख्या 63 होनी चाहिए थी, और यदि 33 प्रतिशत आरक्षण दिया गया होता, तो यह आंकड़ा 42 होता। उन्होंने दावा किया कि भाजपा ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित करने का वादा किया था। कांग्रेस विधायक ने कहा, “आज, असम विधानसभा को एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए, जिसमें संसद से विधेयक को मंजूरी देने का आग्रह किया जाए। अन्य राज्य विधानसभाओं ने भी ऐसा किया है।”
शर्मा ने बोरा को जवाब देते हुए कहा कि विधेयक विधानसभा के अधिकार क्षेत्र के दायरे से बाहर है और इस मामले पर फैसला संसद को लेना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि केंद्र सरकार ने पूरे देश में महिलाओं के नेतृत्व वाला विकास मॉडल तैयार किया है जिसमें वे (महिलाएं) जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रमुख भूमिका में हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं नहीं चाहता कि विधानसभा इस प्रस्ताव को पारित करे और मोदी जी (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी) पर दबाव डाले, इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। हमें उनके नेतृत्व पर पूरा भरोसा है।” उन्होंने कहा, “हमने मनमोहन सिंह या देवेगौड़ा या गुजराल (पूर्व प्रधानमंत्रियों) पर ऐसा कोई दबाव नहीं डाला था।” राज्य सरकार ने प्रस्ताव का समर्थन करने से इनकार कर दिया, लेकिन बोरा ने इसे वापस नहीं लिया। प्रस्ताव ध्वनि मत से गिर गया।