कांग्रेस मीडिया प्रभारी ग्वालियर-चंबल संभाग ने आरएसएस प्रमुख को पत्र लिखा, भाजपा को किया कटघरे में खड़ा

By दिनेश शुक्ल | Aug 09, 2020

भोपाल। मध्य प्रदेश में आगामी विधान सभा उप चुनाव को देखते हुए ग्वालियर- चंबल संभाग के कांग्रेस मीडिया प्रभारी बनाए गए पूर्व प्रदेश प्रवक्ता के.के.मिश्रा ने राष्ट्रीय स्वमंसेवक संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत को पत्र लिखा है। आरएसएस प्रमुख भोपाल में दो दिवसीय प्रवास पर है। इस दौरान वह मध्य प्रांत और मालवा प्रांत के स्वमंसेवकों से चर्चा कर कोरोना काल के दौरान सेवा कार्यों के अनुभव जानेगें। आरएसएस प्रमुख पिछले माह भी भोपाल प्रवास पर आए थे यह पिछले एक पखवाड़े में उनका भोपाल का दूसरा प्रवास है। शनिवार को भोपाल पहुँचे संघ प्रमुख ने स्वमंसेवकों से चर्चा की और शिक्षा नीति सहित संघ से युवाओं को जोड़ने और कोरोना काल के दौरान स्वमंसेवकों द्वारा की गई जनता की सेवा की समीक्षी भी की। वही कांग्रेस मीडिया प्रभारी ग्वालियर-चंबल संभाग के.के.मिश्रा ने संघ प्रमुख को पत्र लिखकर कुछ सवाल करते हुए भाजपा सरकार को लेकर पत्र के माध्यम से अपनी बात कही है। के.के.मिश्रा द्वारा संघ प्रमुख को लिखा गया पत्र कुछ इस तरह है -   

 

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परमादरणीय डॉ. मोहन भागवत जी,

सादर अभिवादन.

आज से आप प्रदेश की राजधानी भोपाल में तीन दिवसीय प्रवास पर पधार रहे हैं, एतद स्वागत है, हालांकि कुछ दिनों पूर्व भी आप यहां पधारे थे किंतु "अयोध्या में राम मंदिर के पहले हो चुके भूमिपूजन के बाद दोबारा आपकी उपस्थिति में हुए दूसरे राजनैतिक भूमिपूजन के बाद इस प्रवास के मायने कुछ और अधिक है।"

मान्यवर, आप यह बात कई बार दोहरा चुके हैं कि संघ का भाजपा से और भाजपा से संघ का कोई भी संबंध नहीं है, संघ भाजपा के काम में कोई भी दख़ल नहीं देता है किंतु आपका यह कथन बार-बार झूठा ही साबित होता आया है! संघ का केंद्र व राज्य सरकारों सहित भाजपा के सभी कार्यों में पूरा दख़ल स्पष्ट दिखाई देता है। संघ पार्टी-सरकार के कामों की समीक्षा बैठक आहूत करता है, टिकट वितरण, मंत्री मंडल के गठन/पुनर्गठन की सूची तक संघ की बिना स्वीकृति के जारी नहीं होती, राज्यपालों, पीएससी, यूपीएसी चेयरमेन/सदस्यों सहित विश्व विद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्तियों में भी संघ की सीधी भूमिका के स्पष्ट प्रमाण सामने आते रहते हैं। लिहाज़ा, यह कहना ही प्रासंगिक होगा कि संघ के बिना भाजपा और भाजपा के बिना संघ का कोई अस्तित्व नहीं है, दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। जब यह यथार्थ सामने ही हैं, तो एक नागरिक के नाते मेरी आपसे कुछ जिज्ञासाएं हैं, कृपा कर इस प्रवास पर यदि आप उन्हें शांत करेंगे तो मैं आपका सदैव कृतज्ञ रहूंगा। हालांकि यह भी एक ऐतिहासिक सच्चाई है कि पूर्ववर्ती शिवराज सरकार के दौरान हुए व्यापमं, सिंहस्थ, नर्मदा सेवा यात्रा, 6 करोड़ 67 लाख फ़र्ज़ी वृक्षारोपण, ई -टेंडरिंग, डंपर, शौचालय निर्माण जैसे करोड़ों-अरबों के घपलों-घोटालों, मंदसौर में पुलिस की गोलियों से 8 किसानों की हत्या जैसे गंभीर मुद्दों पर आप व संघ परिवार ने जरा भी अपनी जुबां नहीं खोली थी?  क्या नैतिकता-भ्रष्टाचार को लेकर संघ कबीले की परिभाषा भिन्न है? खैर अब सही??

मान्यवर, ऐसा कहा जाता है कि संघ सदैव नैतिकता का पक्षधर रहता है (हालांकि मेरे मानस पटल पर ऐसी कोई जानकारी अंकित नहीं है) और म.प्र. में इन दिनों गद्दारों-बिकाऊ विधायकों की ख़रीद-फरोख्त, चोरी के जनादेश से निर्मित एक अनैतिक व जबरिया सरकार कार्य कर रही है, क्या नैतिकता की दुहाई देने वाले संघ व संघ परिवार के मुखिया के नाते इस अनैतिक सरकार को आपका समर्थन है, आपकी विचारधारा को निरंतर कोसने वाली विचारधारा के स्वार्थो के कारण आपकी शरण में आये घुसपैठिये क्या आपके विचारों में अब सच्चे राष्ट्रवादी हो गए हैं? क्या आप इसे उचित मानते हैं, यदि हां तो कृपापूर्वक आप इसे अपना समर्थन सार्वजनिक कीजियेगा और यदि नहीं, तो अपनी चुप्पी तोड़कर इसका प्रतिकार कीजियेगा ताकि नैतिकता को लेकर संघ कबीले का वास्तविक चाल, चरित्र व चेहरा स्पष्ट हो सके?

मान्यवर, आपकी इस विषयक चुप्पी तोड़ने से जहां भारतीय लोकतंत्र में यह एक अच्छा संदेश जाएगा कि जनादेश की चोरी, सौदेबाजी से बनाई गई सरकार को लेकर देश/प्रदेश का आमजन "नैतिकता का पूजन करे या अनैतिकता का"? जब देश के सम्मुख म.प्र. एक अनैतिक जनादेश से सरकार बनाकर एक गंदी परम्परा का नेतृत्व कर  रहा हो, उस सरजमीं पर आपका यह तीन दिवसीय महत्वपूर्ण प्रवास यदि संघ के ध्येय वाक्य "नैतिकता, सादगी व राजनैतिक सुचिता" को लेकर मुंह छुपायेगा, मूकसमर्थन देगा तो इसका भी एक बहुत हीं गलत संदेश जाएगा, कृपाकर यदि आप एक घिनौने राजनैतिक झंझावात से गुजर रहे प्रदेश में उपर्युक्त सामयिक विषय पर अपने प्रेरक विचार स्पष्ट करेंगे तो बेहतर होगा।


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