By अनुराग गुप्ता | Oct 24, 2019
लोकसभा चुनाव में हार से निराश कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर भरोसा तो जताया लेकिन काफी देरी कर दी। एक तरफ कांग्रेस के भीतर गुटबाजी की चल रही थी तो दूसरी तरफ कहा जा रहा था कि राहुल गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल खेमे के नेताओं को निशाना बना रहे हैं। हालांकि सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी में वरिष्ठ और अनुभवी नेतृत्व की वापसी हो गई।
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इसके बावजूद आरोप लगते रहे कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के मोह में फंसे रहकर पार्टी ने चुनाव की घोषणा होने के 15 दिन पहले ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हरियाणा का चेहरा बनाया। वो भी उस वक्त जब उन्होंने एक रैली बुलाई और उसमें हुड्डा को भारी जनसमर्थन प्राप्त हुआ। इस रैली को देखने के बाद आलाकमान को यह फैसला लेना पड़ा। इसी के साथ पार्टी ने कुमारी शैलजा को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया।
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अगर रुझानों पर ध्यान दें तो हुड्डा पर पहले भरोसा जताया जाता तो लोकसभा चुनावों में निराश हुई कांग्रेस को बड़ा फायदा मिल सकता था। फिलहाल जो स्थिति बन रही है उसके मुताबिक प्रदेश में किंगमेकर की भूमिका में जेजेपी और अन्य दिखाई दे रहे हैं।