Prajatantra: आगे कुआं और पीछे खाईं! राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने पर उलझन में कांग्रेस

By अंकित सिंह | Dec 28, 2023

22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह होना है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे। उन्हीं के हाथों यह प्राण प्रतिष्ठा समारोह भी होगा। इसको लेकर फिलहाल भाजपा खुलकर हिंदुत्व के पिच पर सियासी बैटिंग करती नजर आ रही है। दूसरी ओर इंडिया गठबंधन के साथ-साथ कांग्रेस में भी उलझन की स्थिति है। राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से सोनिया गांधी, अधीर रंजन चौधरी और मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को समारोह में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा गया है। हालांकि, अब तक कांग्रेस या साफ नहीं कर सकी है कि यह नेता शामिल होंगे या नहीं होंगे। 

 

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कांग्रेस के लिए उलझन

कांग्रेस के सामने 22 जनवरी को रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने का निमंत्रण तो है लेकिन इसको लेकर कौन सा कदम उठाना है, इस पर उलझन बरकरार है। कांग्रेस के सामने दुविधाओं का दौर है। अगर कांग्रेस नेता इस समारोह में शामिल होते हैं तो अल्पसंख्यक वोट बैंक के नाराज होने का डर है। तो दूसरी ओर इसमें शामिल नहीं होते हैं तो भाजपा के लिए हिंदुत्व के पिच पर कांग्रेस को घेरने का बड़ा मौका मिल जाएगा। अगर कांग्रेस नेतृत्व इस समारोह से किनारा करता है तो हिंदुत्व विरोधी ठप्पा और भी मजबूत हो सकता है। दिलचस्प बात यह भी है कि पिछले एक दशक से कांग्रेस मुस्लिम वोटो को एक बार फिर से लामबंद करने के लिए कड़ी मशक्कत करती नजर आ रही है। 1989 तक मुस्लिम वोट कांग्रेस के पक्ष में रहा। 


कांग्रेस नेताओं का रुख

कांग्रेस नेताओं के रुख की ओर हम जाएं तो कहीं ना कहीं यह साफ तौर पर समझ में आ रहा है कि वह भाजपा पर राम मंदिर को लेकर राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं। कांग्रेस नेता इस बात को लेकर दावा तो कर रहे हैं कि राम पर सभी की आस्था है। राम सभी के हैं। लेकिन कांग्रेस नेता यह भी कह रहे हैं कि आखिर चुनाव के पहले ही इसका उद्घाटन क्यों हो रहा है। रामनवमी के दिन इसका उद्घाटन क्यों नहीं हो सकता था। कई कांग्रेसी नेता तो यह भी कह रहे हैं कि वह चुनाव बाद राम मंदिर का दर्शन करेंगे। कांग्रेस नेताओं का दावा है कि चुनावी कारणों की वजह से भाजपा राम मंदिर को मुद्दा बना रही है। चौधरी ने शामिल होने पर कहा कि पार्टी फैसला करेगी। लोकसभा सांसद शशि थरूर की स्थिति दर्शाती है कि कांग्रेस के लिए कोई भी राह आसान क्यों नहीं है। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत रूप से, मेरा मानना ​​​​है कि धार्मिक आस्था एक व्यक्तिगत मामला है और इसे राजनीतिक रूप से नहीं देखा जाना चाहिए, या राजनीतिक रूप से दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए। 


चुनावी नुकसान से बचने की कोशिश

चुनावी नुकसान को देखते हुए कांग्रेस के कुछ नेता इस बात के पक्ष में है कि आलाकमान को मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल होने पर फैसला लेना चाहिए। कांग्रेस के एक नेता ने यह भी कहा कि फिलहाल पार्टी ने अपना अंतिम रुख नहीं अपनाया है और सैम पित्रोदा जैसे लोग इस मामले में कूद कर अंतिम बयान दे रहे हैं जोकि पार्टी के चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। दिग्विजय सिंह जैसे नेता लगातार इस बात की पैरवी भी कर रहे हैं कि पार्टी को इस समारोह में शामिल होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा है कि सोनिया गांधी इस मामले को लेकर सकारात्मक का रुख रखती हैं और पार्टी जो भी निर्णय लेगी वह समर्थन करेंगे। 

 

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कांग्रेस की केरल इकाई असमंजस में

कांग्रेस की केरल इकाई इस बात को लेकर असंमजस की स्थिति में है कि 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए मिले निमंत्रण को लेकर पार्टी नेतृत्व क्या रुख अपनाएगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद के. मुरलीधरन ने बृहस्पतिवार को कहा कि पार्टी की राज्य इकाई ने राष्ट्रीय नेतृत्व से प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग नहीं लेने का आग्रह किया है। हालांकि, केपीसीसी प्रमुख के. सुधाकरन ने कहा कि उन्हें राज्य इकाई द्वारा इस मामले पर राष्ट्रीय नेतृत्व को अपना रुख बताने के संबंध में कोई जानकारी नहीं है। अगले महीने अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा या अभिषेक समारोह में शामिल होने के निमंत्रण के प्रति कांग्रेस के गैर-प्रतिबद्ध रुख की केरल के एक प्रमुख मुस्लिम संगठन ने आलोचना की है, जो कांग्रेस की सहयोगी IUML के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है। केरल में, IUML कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) का दूसरा सबसे बड़ा सहयोगी है। महासचिव पीएमए सलाम ने कांग्रेस को भाजपा के झांसे में न आने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि सभी चुनावों से पहले, भाजपा कोई न कोई हथकंडा लेकर सामने आती है और यह हमारे देश को हिंदू देश में बदलने का एक एजेंडा है।

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