By अनुराग गुप्ता | Jul 05, 2021
नयी दिल्ली। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के 'सभी भारतीयों का डीएनए एक है' वाले बयान को लेकर प्रतिक्रियाएं आना शुरू हो चुकी है। इस संबध में कांग्रेस से लेकर तमाम पार्टियों ने टिप्पणी की है। इसी बीच बसपा प्रमुख मायावती ने बयान को मुंह में राम बगल छूरी वाला बताया।
उन्होंने कहा कि मोहन भागवत के बीते दिनों एक कार्यक्रम में भारत में सभी धर्मों के लोगों का डीएनए एक होने की बात किसी के भी गले के नीचे आसानी से नहीं उतरने वाली है। आरएसएस और बीजेपी एंड कंपनी के लोगों तथा इनकी सरकारों की कथनी व करनी में अंतर सभी देख रहे हैं।
वहीं, एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने आरएसएस प्रमुख के हृदय परिवर्तन पर उनका स्वागत किया। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत का बयान कि भारत में रहने वाले सभी लोगों का डीएनए एक है। अगर भागवत जी का हृदय बदल रहा है तो हम उसका स्वागत करते हैं। वर्ण व्यवस्था में विश्वास करने वाला संगठन अगर धर्म की हदों को तोड़ना चाहता है तो ये अच्छी बात है।
आरएसएस प्रमुख के बयान पर कांग्रेस टिप्पणी करने से भला कैसे चूक सकती है। वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि अगर मोहन भागवत अपने विचारों के प्रति ईमानदार हैं तो उन्हें पहले उन लोगों को पद से हटाने का निर्देश देना चाहिए जिन्होंने मुसलमानों को प्रताड़ित किया है। वहीं महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने भी अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कराई है।
समाचार एजेंसी के साथ बातचीत में नाना पटोले ने कहा कि कांग्रेस की भूमिका पहले से ही स्पष्ट थी कि हिन्दुस्तान के हर इंसान का डीएनए एक ही है, वो किसी भी धर्म का हो। आज मोहन भागवत जी को ये पता चला तो हम इसका स्वागत करते हैं।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय मुस्लिम मंच द्वारा हिन्दुस्तानी प्रथम, हिन्दुस्तान प्रथम विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि हिन्दू-मुस्लिम एकता की बात भ्रामक है क्योंकि वे अलग नहीं, बल्कि एक हैं। सभी भारतीयों का डीएनए एक है, चाहे वे किसी भी धर्म के हों। यदि कोई कहता है कि मुसलमानों को भारत में नहीं रहना चाहिए तो वह हिन्दू नहीं है। उन्होंने कहा था कि हम एक लोकतंत्र में हैं। यहां हिन्दुओं या मुसलमानों का प्रभुत्व नहीं हो सकता। यहां केवल भारतीयों का वर्चस्व हो सकता है।