By अंकित सिंह | Sep 03, 2024
विपक्षी कांग्रेस ने मंगलवार को निजी ऋणदाता आईसीआईसीआई बैंक और शाखा आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल से पूर्णकालिक सदस्य और बाद में पूंजी बाजार नियामक निकाय के अध्यक्ष रहते हुए नियमित आय प्राप्त करने को लेकर सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच के खिलाफ ताजा हमला बोला। कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हमने कल तीन प्रश्न पूछे जो आईसीआईसीआई बैंक, पीएन और बुच की ओर निर्देशित थे। तीनों में से, आईसीआईसीआई बैंक ने हमारे आरोपों का जवाब दिया, जिससे हमें इस खुलासे को और अधिक उजागर करने में मदद मिली है।
खेड़ा ने कहा कि हमने कल के खुलासे में नरेंद्र मोदी, माधबी पुरी बुच और ICICI बैंक से सवाल पूछे थे। अब इस शतरंज के खेल के एक मोहरे यानी ICICI बैंक का खुलासे पर जवाब आया है। जब माधबी पुरी बुच ICICI से रिटायर हुईं तो.. 2013-14 में उन्हें 71.90 लाख रुपए की ग्रेच्युटी मिली। 2014-15 में उन्हें 5.36 करोड़ रुपए रिटायरमेंट कम्यूटेड पेंशन मिली। लेकिन अगर 2014-15 में माधबी पुरी बुच और ICICI के बीच सेटलमेंट हो गया था और 2015-16 में उन्हें ICICI से कुछ नहीं मिला तो फिर 2016-17 में पेंशन फिर से क्यों शुरू हो गई?
उन्होंने आगे कहा कि अब अगर साल 2007-2008 से 2013-14 तक की माधबी पुरी बुच की औसत सैलरी निकाली जाए, जब वो ICICI में थीं, तो वो करीब 1.30 करोड़ रुपए थी। लेकिन माधबी पुरी बुच की पेंशन का औसत 2.77 करोड़ रुपए है। ऐसी कौन सी नौकरी है, जिसमें पेंशन.. सैलरी से ज्यादा है। उम्मीद है कि माधबी पुरी बुच जवाब देंगी कि 2016-17 में तथाकथित पेंशन फिर से क्यों शुरू हो गई थी? ध्यान रहे कि 2016-17 में माधबी पुरी बुच की 2.77 करोड़ रुपए की पेंशन तब फिर से शुरू हुई, जब वो SEBI में Whole time member बन चुकी थीं।
खेड़ा ने कहा कि ICICI कहता है कि हमारे कर्मचारियों और रिटायर्ड कर्मचारियों के पास अपना ESOPs एक्सरसाइज करने की च्वाइस होती है। अमेरिका की एक वेबसाइट पर ICICI ने लिखा है कि अगर ICICI बैंक से खुद इस्तीफा दिया जाए तो, उसके तीन महीने के अंदर ही ESOPs एक्सरसाइज किया जा सकता है। लेकिन माधबी बुच जी इस्तीफा देने के 8 साल बाद भी ESOPs चला रही हैं। आखिर इस तरह का लाभ ICICI के हर एम्पलाई को क्यों नहीं मिलता?