By अनन्या मिश्रा | Mar 02, 2023
हिंदू धर्म में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। रंग खेलन के लिए दिन पहले छोटी होली या होलिका दहन मनाया जाता है। लेकिन इस बार होलिका दहन को लेकर लोगों में कंफ्यूजन है। वहीं पंडितों में भी होलिका दहन की तिथि को लेकर मतभेद है। होलिका दहन के लिए कोई 6 मार्च की शाम का समय शुभ बता रहा है तो कोई 7 मार्च को सूर्योदय से पहले का समय होलिका दहन के लिए अच्छा बता रहा है। आपको बता दें कि यह स्थिति भद्रा के कारण बनी है। भद्रा में शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय के पहले ही होलिका दहन करने का नियम है। ऐसे में पंडित भी होलिका दहन का अलग-अलग समय बता रहे हैं।
प्रदोषकाल में होता है दहन
अखिल भारतीय ज्योतिष परिषद के राष्ट्रीय महासचिव आचार्य कृष्णदत्त शर्मा ने बताया कि फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन प्रदोषकाल में होलिका दहन किया जाता है। धर्मशास्त्रों के मुताबिक दिन के समय, प्रतिपदा में, चतुर्दशी और भद्राकाल में होलिका दहन नहीं किया जाता है। इस साल 6 मार्च से शुरू होकर 7 मार्च तक फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा है। वहीं पूर्णिमा प्रदोष व्यापिनी 6 मार्च से शुरू होकर 7 मार्च को 6 बजकर 10 मिनट तक रहेगी। लेकिन यह प्रदोष काल शाम तक नहीं है। प्रतिपदा पूर्णिमा के मान कम होने के कारण हृास गामिनी भी है। आचार्य कृष्णदत्त शर्मा ने बताया कि भद्रा का ऐसी स्थिति में विचार नहीं किया जाता। उन्होंने बताया कि सोमवार यानि की 6 मार्च को रात 8 बजकर 55 मिनट तक होलिका दहन किया जाना चाहिए।
जानिए क्या कहते हैं वाराणसी के ज्योतिष
वाराणसी के ज्योतिषाचार्य पंडित दिनेश तिवारी के अनुसार, 6 मार्च को 3 बजकर 56 मिनट तक फाल्गुन शुक्ल पक्ष चतुर्दशी है। इसके बाद पूर्णिमा तिथि लग जाएगी। उन्होंने बताया कि पूर्णिमा के साथ ही भद्रा की भी दोपहर बाद 3 बजकर 56 मिनट से शुरूआत होकर यह 7 मार्च की सुबह 4 बजकर 48 मिनट तक रहेगी। होलिका दहन भद्रा में वर्जित माना गया है। पंडित दिनेश तिवारी ने बताया कि 6 मार्च दिन सोमवार की देर रात्रि 4 बजकर 48 मिनट पर भद्रा के खत्म होने के बाद सूर्योदय 6:11 बजे से पहले होलिका दहन करने का शुभ समय होगा।
पटना के पंडित ने बताया ये मुहूर्त
पटना के पंडित जितेंद्र शास्त्री ने होलिका दहन के शुभ समय के बारे में बताते हुए कहा कि फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन यानि की 7 मार्च को होलिका दहन किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि शाम 05:48 मिनट से रात 07:24 मिनट तक होलिका दहन का शुभ समय है। बता दें कि इसके अलावा अन्य पंडितों की भी यह राय है कि पारिवारिक या स्थानीय पंडित की राय लेने के बाद ही लोग होलिका दहन करें। क्योंकि क्षेत्र विशेष और अलग-अलग पंचांग के कारण होलिका दहन का समय भी अलग हो सकता है।
होलिका दहन की कहानी
अखिल भारतीय ज्योतिष परिषद के राष्ट्रीय महासचिव आचार्य कृष्णदत्त शर्मा ने होलिका दहन की कहानी बताते हुए कहा कि हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान मिला था कि वह आग से नहीं जलेगी। भाई के कहने पर होलिका ने भगवान श्रीहरि के भक्त को जीवित जलाने के इच्छा से आग में लेकर बैठ गई। लेकिन भगवान ने अपने भक्त के लिए ऐसा चमत्कार दिखाया कि आग में होलिका जल गई और भक्त प्रहलाद को आंच भी नहीं आई। अंत में हिरण्यकश्यप भी मारा गया। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए होलिका दहन किया जाने लगा।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
शास्त्र के अनुसार, 06 मार्च, सोमवार को रात्रि 8 बजे से 08:55 तक होलिका दहन किया जाना चाहिए।
आचार्य कृष्णदत्ता शर्मा के अनुसार, 7 मार्च, सोमवार की सुबह 4:48 बजे से सूर्योदय पूर्व 6:11 तक होलिका दहन का शुभ मुहूर्त है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दिनेश तिवारी ने बताया कि 7 मार्च को शाम 5 बजकर 48 मिनट से रात 7 बजकर 24 मिनट होलिका दहन का समय शुभ है।