Stock market-US elections: जो बिडेन, डोनाल्ड ट्रम्प, बराक ओबामा, जॉर्ज बुश के कार्यकाल में ऐसा था शेयर बाजार का हाल

By रितिका कमठान | Nov 04, 2024

अमेरिकी चुनावों का आयोजन पांच नवंबर को होना है। इन चुनावों का सीधा असर भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को मिल सकता है। घरेलू शेयर बाजार पर इसका अल्पकालिक प्रभाव दिख सकता है। इतिहास पर नजर डालें तो डेमोक्रेट और रिपब्लिकन पार्टी के सत्ता में आने और अमेरिकी और भारतीय शेयर बाजारों के प्रदर्शन के बीच कोई स्पष्ट संबंध नहीं है।

 

वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन जो एक डेमोक्रेट हैं, उन्होंने 20 जनवरी, 2021 को पदभार संभाला था। तब से, अमेरिकी सूचकांक डॉव जोन्स और एसएंडपी 500 ने क्रमशः 57.3 प्रतिशत और 69.6 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। वास्तव में इस अवधि के दौरान नैस्डैक में 142 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली है। वहीं बिडेन के कार्यकाल में निफ्टी ने 75 प्रतिशत का रिटर्न दिया।

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, जो रिपब्लिकन हैं वो 20 जनवरी 2017 से 20 जनवरी 2021 तक कार्यालय में थे। उनके कार्यकाल के दौरान, डॉव जोन्स ने 45.3 प्रतिशत की बढ़त हासिल की, एसएंडपी 500 ने 52.8 प्रतिशत की बढ़त हासिल की थी। वहीं नैस्डैक ने 77 प्रतिशत की बढ़त हासिल की, लेकिन निफ्टी ने तीनों सूचकांकों से कमजोर प्रदर्शन किया और 38 प्रतिशत रिटर्न दिया। 

 

डेमोक्रेट बराक ओबामा 2009 से 2017 तक पद पर रहे। 20 जनवरी 2013 से 20 जनवरी 2017 तक ओबामा के पहले कार्यकाल में, निफ्टी में 45 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि डौ जोन्स में 24.1 प्रतिशत, एसएंडपी 500 सूचकांक में 31.5 प्रतिशत और नैस्डैक में 30 प्रतिशत की गिरावट आई।

जेएम फाइनेंशियल ने एक नोट में कहा कि 20 जनवरी 2017 से 20 जनवरी 2021 तक के उनके दूसरे कार्यकाल में निफ्टी में 117 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई, जबकि नैस्डैक में 118 प्रतिशत, डॉव जोंस में 71.7 प्रतिशत, एसएंडपी 500 सूचकांक में 84.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

 

इस बीच, जॉर्ज बुश के कार्यकाल में भी अमेरिकी सूचकांकों में गिरावट देखी गई, लेकिन निफ्टी में उछाल आया। रिपब्लिकन 20 जनवरी, 2005 से 20 जनवरी, 2009 तक कार्यालय में थे। उस अवधि के दौरान निफ्टी ने 45 प्रतिशत रिटर्न दिया, जबकि डॉव जोन्स में 1.1 प्रतिशत और एसएंडपी 500 इंडेक्स में 12.4 प्रतिशत की गिरावट आई। इसी अवधि के दौरान नैस्डैक में 26 प्रतिशत की गिरावट आई।

 

जेएम फाइनेंशियल ने कहा, "सत्ता में रहने वाली पार्टी और उसके कार्यकाल के दौरान सूचकांकों के प्रदर्शन के बीच कोई स्पष्ट संबंध नहीं है। बाजार का रिटर्न अर्थव्यवस्था की स्थिति और सत्ता में रहने वाली पार्टी की नीतियों पर अधिक निर्भर करता है। इसलिए, यह समझना महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक उम्मीदवार या पार्टी किस बात के लिए खड़ी है, ताकि विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ने वाले प्रभाव का पता लगाया जा सके।"

 

आगामी अमेरिकी चुनावों में, ट्रम्प की प्रस्तावित नीतियाँ जैसे कि कम कॉर्पोरेट कर, चीन पर उच्च टैरिफ और स्थानीय विनिर्माण के लिए प्रोत्साहन प्रकृति में विस्तारवादी हैं और इससे ब्याज दरें बढ़ सकती हैं, अमेरिकी डॉलर मजबूत हो सकता है और वैश्विक विकास में मंदी आ सकती है। वह यूक्रेन-रूस युद्ध से भी पीछे हटने का इरादा रखता है।

 

जेएम फाइनेंशियल ने कहा, "हैरिस की प्रस्तावित नीतियां यथास्थिति बनाए रखने के बारे में अधिक हैं, हालांकि उनका इरादा कॉर्पोरेट और अमीर अमेरिकियों पर उच्च कर लागू करने का है। उनका इरादा मध्यम वर्ग/निम्न आय समूहों के हितों की रक्षा करना है। यूक्रेन-रूस युद्ध और नाटो को समर्थन जारी रहना चाहिए।"

प्रमुख खबरें

पूर्व PM मनमोहन सिंह का निधन, 92 साल की उम्र में दिल्ली के AIIMS में ली अंतिम सांस

सक्रिय राजनीति फिर से होगी रघुवर दास की एंट्री? क्या है इस्तीफे का राज, कयासों का बाजार गर्म

क्या इजराइल ने सीरिया में फोड़ा छोटा परमाणु बम? हर तरफ धुंआ-धुंआ

1,000 नए रंगरूटों को दिया जाएगा विशेष कमांडो प्रशिक्षण, सीएम बीरेन सिंह ने दी जानकारी