वॉशिंगटन। भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा है कि ट्रंप प्रशासन द्वारा एच1बी वीजा कार्यक्रम पर उठाया जाना वाला कोई भी ‘‘गंभीर कदम’’ भारत के लिए ‘‘चिंता’’ पैदा करने वाला होगा क्योंकि सेवा क्षेत्र में बहुसंख्यक भारतीय निर्यात अमेरिका जाते हैं। सुब्रमण्यन ने पिछले हफ्ते कहा, ‘‘यदि गंभीर कदम उठाए जाते हैं तो इससे चिंता बहुत ज्यादा बढ़ेगी क्योंकि याद रखिए कि हमारे कुल निर्यातों में से 40 से 45 फीसदी सेवाओं का निर्यात है।’’
अमेरिका के शीर्ष आर्थिक थिंक टैंक पीटरसन इंस्टीट्यूट के दौरे पर पहुंचे सुब्रमण्यन ने एच1बी वीजा से संबंधित सवाल के जवाब में कहा, ‘‘सेवाओं के कुल निर्यात में से लगभग 50 से 60 फीसदी अमेरिका जाता है। इसलिए यह हमारे लिए चिंता की बात है।’’ उन्होंने कहा कि वीजा सुधार जब तक हमारे लिए परेशानी खड़ी नहीं कर रहे तब तक ठीक है और हम इस पर करीब से नजर रख रहे हैं। सुब्रमण्यन ने कहा, ‘‘निर्यात की वृद्धि में जो भी चीज दखल देगी उससे भारत में चिंता बढ़ेगी। अमेरिका के संबंध में हम एच1बी वीजा की स्थिति पर बहुत ध्यान से नजर रख रहे हैं। जहां तक वीजा की बात है तो जब तक यह हमारे लिए परेशानी खड़ी नहीं कर रहा तब तक यह ठीक है।’’ अमेरिका दौरे पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी अमेरिकी पक्ष के साथ एच1बी वीजा का मुद्दा उठाया और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में भारतीय कंपनियों तथा पेशेवरों के योगदान को रेखांकित किया।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस माह की शुरूआत में एक सरकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। इस आदेश में एच1बी वीजा कार्यक्रम के नियमों को कठोर करने को मंजूरी दी गई ताकि इसका दुरूपयोग ना किया जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि ‘‘सबसे कुशल और उच्च वेतनभोगी’’ आवेदकों को वीजा दिया जाए। इस फैसले से भारत की 150 अरब डॉलर के आईटी उद्योग पर असर पड़ेगा।