पाक में IAF के हमले के बाद विरोधियों ने खोज लिया नया बालाकोट: जेटली

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 02, 2019

नयी दिल्ली। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि जब भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के खैबर पख्तुन ख्वा प्रांत के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविर पर निशाना बनाया तो कुछ ‘स्वाभाविक विरोधियों’ने तथ्यों की पड़ताल किये बिना भारतीय सरजमीं पर एक नया बालाकोट खोज लिया। जेटली ने समाचार चैनलों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे रिपोर्टिंग करने के बजाय तेजी से एजेंडा तय करने में लगे हैं। उन्होंने एक पुस्तक विमोचन समारोह में कहा, ‘जब हमारी वायु सेना खैबर पख्तून ख्वा में बालाकोट पहुंची तो कोई सूचना आने से पहले ही किसी ने कहना शुरू कर दिया कि यह नियंत्रण रेखा (एलओसी) के बहुत करीब है और कुछ लोगों ने बिना तथ्यों की पड़ताल किये एक नया बालाकोट खोज लिया जो एलओसी के उस पार नहीं बल्कि हमारे पुंछ में है। ऐसे लोगों को मैं स्वाभाविक विरोधी कहता हूं।’

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जेटली ने यहां ‘मन की बात-रेडियो पर सामाजिक क्रांति’ पुस्तक का विमोचन किया जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक आकाशवाणी प्रसारण पर आधारित है। उन्होंने कहा, ‘हमारी वायु सेना अपने ही क्षेत्र में हमला क्यों करेगी।’ वित्त मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में रहने वाले लोगों को जनता से सीधे संवाद के लिए वैकल्पिक माध्यमों का इस्तेमाल करना होगा क्योंकि समाचार चैनल तो रिपोर्टिंग करने के बजाय तेजी से एजेंडा तय करने की ओर बढ़ रहे हैं। यह प्रिंट मीडिया और रेडियो को अपनी खोई हुई जमीन पाने का स्वर्णिम मौका देता है। जेटली ने कहा, ‘1990 के दशक के मध्य में टीवी चैनल शुरू हुए। शुरू में उन पर पैनल चर्चा होती थी, कुछ समाचार बुलेटिन चलते थे और इसके बाद उनके बीच जो होड़ शुरू हुई तो वे अब एजेंडा तय कर रहे हैं।’

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उन्होंने कहा कि इस तरह की शुरूआत होने के बाद से लोगों को समाचार के लिए बार बार रिमोट से चैनल बदलना पड़ता है क्योंकि हर जगह एजेंडा है। जेटली ने कहा, ‘मुझे याद आता है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। 2002 में गुजरात में चुनाव हुए और उस समय स्थानीय मीडिया तथा राष्ट्रीय मीडिया वास्तव में उनका दोस्त नहीं था। वह उनके खिलाफ बहुत आक्रामक था।’ उन्होंने कहा कि उस समय मैं अपनी पार्टी की ओर से उन चुनावों में कामकाज देख रहा था। उस समय भी यह होता था कि अगर आप रिपोर्टिंग करने के बजाय एजेंडा तय करने लगते हैं तो आप इस माध्यम से जनता के साथ संवाद नहीं कर पाते। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम ने श्रोताओं के मन में गहरी छाप छोड़ी है।

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