By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 10, 2021
नयी दिल्ली। जमाखोरी पर लगाम लगाने के साथ-साथ खाद्य तेल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए, केंद्र ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकारों से कहा कि वे व्यापारियों, मिल मालिकों, रिफाइनरी इकाइयों और अन्य स्टॉकिस्टों से खाद्य तेल और तिलहन के स्टॉक के बारे में ब्योरा इकट्ठा करें। केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने राज्य सरकारों से इस संबंध में आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत निर्देश जारी करने को कहा है। मंत्रालय ने एक पत्र में कहा, ‘‘हाल ही में, (खाद्य तेलों के) आयात शुल्क में कमी के बावजूद, खाद्य तेलों/तिलहनों की कीमतों में अचानक उछाल देखा गया है, जो स्टॉक रखने वालों द्वारा इसकी कथित जमाखोरी के कारण हो सकता है।’’ नतीजतन, राज्यों से कहा गया है कि वे न केवल मिल मालिकों, रिफाइनरों, थोक विक्रेताओं और व्यापारियों से उनके स्टॉक का खुलासा करवायें, बल्कि साप्ताहिक आधार पर खाद्य तेलों और तिलहनों की कीमतों की निगरानी भी रखें। इसके अलावा राज्यों को स्टॉक का खुलासा करने के लिए स्टॉकिस्टों को एक ऑनलाइन पोर्टल तक पहुंच प्रदान करने के लिए कहा गया है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘यह सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है कि किसी भी तरह की जमाखोरी के कारण कोई अनुचित कामकाज न हो और जिसके परिणामस्वरूप खाद्य तेलों में वृद्धि न हो।’’ बयान में कहा गया है कि यह किसी भी तरह का स्टॉक सीमा निर्धारण संबंधी आदेश नहीं है। खाद्य सचिव सुधांशु पांडे के शुक्रवार को राज्य के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे और मामले को आगे बढ़ाते हुए आदेश के अनुपालन को सुनिश्चित करने का प्रयत्न करेंगे। सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले एक साल में छह खाद्य तेलों- पाम तेल, सूरजमुखी, सोया तेल, मूंगफली, सरसों और वनस्पति की औसत खुदरा कीमतों में 20 से 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। चार सितंबर को, पांडे ने कहा कि नई फसल के आने के साथ दिसंबर से खाद्य तेलों की कीमतों में नरमी शुरू हो जाएगी, लेकिन वैश्विक चिंताओं के बीच इसके ‘नाटकीय रूप से’ नरम होने के आसार नजर नहीं आते। भारत अपनी खाद्य तेल की मांग का 60 प्रतिशत आयात से पूरा करता है।