By अंकित सिंह | May 17, 2022
बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेपाल के लुंबिनी पहुंचे थे। लुंबिनी से वापसी में वे लखनऊ पहुंचे लखनऊ एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वागत किया। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सम्मान में योगी आदित्यनाथ ने रात्रि भोजन का भी आयोजन किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी योगी कैबिनेट के सभी मंत्रियों से मुलाकात की बात की और सरकार को लेकर कई दिशा निर्देश भी दिए। हालांकि कल योगी आदित्यनाथ और मोदी की मुलाकात और हाव-भाव से कई बड़े संकेत निकल कर सामने आ रहे हैं। पहला बड़ा संकेत तो यही है कि जब योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लखनऊ में स्वागत किया तो उसकी एक तस्वीर उन्होंने ट्विटर पर पोस्ट की। इस तस्वीर के साथ योगी आदित्यनाथ ने लिखा शेषावतार भगवान श्री लक्ष्मण जी की पावन नगरी लखनऊ में आपका हार्दिक स्वागत व अभिनंदन...
योगी की ट्वीट के बाद इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि क्या अयोध्या और प्रयागराज के बाद अब लखनऊ को भी नया नाम मिलने जा रहा है? आपको बता दें कि साधु-संतों और भाजपा नेताओं की ओर से लगातार लखनऊ को लक्ष्मणपुर करने की मांग की जाती रही है। हालांकि योगी आदित्यनाथ ने कभी इस को लेकर अपनी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन इस तरीके से योगी आदित्यनाथ ने पीएम मोदी का भगवान श्री लक्ष्मण की पावन नगरी में स्वागत किया। उसके बाद से लखनऊ के नाम बदलने की चर्चा तेज हो गई है। लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा लगातार की जा रही है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार लखनऊ के नाम परिवर्तन की दिशा में आगे बढ़ रही है। यह अटकलें इसलिए भी लगाई जा रही हैं, क्योंकि इससे पहले लखनऊ का नाम बदलकर लखनपुरी, लक्ष्मणपुरी और लखनपुर करने की मांग उठाई जा चुकी है। योगी सरकार ने इससे पहले कई जगहों के नाम बदले हैं। इलाहाबाद और फैजाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज और फैजाबाद का नाम अयोध्या किया जा चुका है। इसी प्रकार मुगलसराय स्टेशन का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखा गया था।
बहरहाल, लखनऊ का नाम बदलने की मांग बेवजह नहीं है। इसके पीछे भी आक्रांता औरंगजेब ही था,जिसने यहां से प्रभु लक्ष्मण की पहचान मिटाने का भरसक प्रयास किया। एक समय आज का लखनऊ जिसे लक्ष्मणपुर या लखनपुर कहा जाता था,गोमती नदी के किराने लक्ष्मण टीला के आसपास बसा हुआ था,जिसे अब पुराना लखनऊ कहा जाता है.अब ‘लक्ष्मण टीला’ का नाम पूरी तरह मिटा दिया गया है। यह स्थान अब ‘टीले वाली मस्जिद’ के नाम से जाना जाता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि लखनऊ की संस्कृति पर यह जबरदस्ती थोपा गया है। यह दावा लखनऊ के पूर्व बीजेपी सांसद लालजी टंडन(अब दिवंगत) ने अपनी किताब ‘अनकहा लखनऊ’ में भी किया है।
योगी आदित्यनाथ ने एक और बड़ा संकेत दिया। प्रधानमंत्री जब यूपी उत्तर प्रदेश पहुंचते हैं तो योगी आदित्यनाथ कुछ न कुछ देकर उनका स्वागत करते हैं। हमने कई बार देखा कि योगी आदित्यनाथ भगवान राम या उनसे जुड़ी कोई तस्वीर या मूर्ति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट करते हैं। इसके अलावा काशी विश्वनाथ से जुड़ी कई मूर्तियां भी योगी आदित्यनाथ पीएम मोदी को भेंट कर चुके हैं। लेकिन इस बार कुछ नया था, कुछ अलग था। इसलिए इसकी चर्चा खूब हो रही है। दरअसल, इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को योगी आदित्यनाथ की ओर से भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति भेंट की गई है।
जब यह मूर्ति भेंट की जा रही थी तो उस दौरान उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक और स्वतंत्र देव सिंह भी मौजूद थे। इस मूर्ति को लेकर भी अब लगातार कयास लगाए जा रहे हैं। पहले भगवान श्री राम की मूर्ति दी जाती थी तो अयोध्या मसले के हल की तरफ भाजपा सरकार का रुख रहा। उसके बाद काशी विश्वनाथ के की मूर्ति दिए गए तो काशी में लगातार विकास के काम हो रहे हैं। इस बार योगी आदित्यनाथ ने भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति दी है। क्या मथुरा में भी योगी सरकार कुछ नया और करने जा रही है? आपको बता दें कि मथुरा में भी शाही ईदगाह और कृष्ण जन्मभूमि के बीच विवाद है। पर मामला कोर्ट में है।