Ex-CJI Gogoi ने संविधान के मूल ढांचे के न्यायशास्त्र पर जो सवाल उठाया उस पर CJI Chandrachud ने क्या कहा?

By नीरज कुमार दुबे | Aug 09, 2023

भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने हाल ही में राज्यसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पर चर्चा में भाग लेते हुए संविधान के मूल ढांचे के न्यायशास्त्र पर सवाल उठाया था। कांग्रेस ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सवाल किया था कि क्या यह संविधान को 'पूरी तरह से खत्म करने' की शुरुआत करने की 'भाजपा की चाल' है? अब पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के इस बयान का जिक्र जब सोमवार को उच्चतम न्यायालय में हुआ तो प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायाधीश के पद से हटने के बाद कोई जो कुछ भी कहता है वह सिर्फ राय होती है और वह किसी पर बाध्यकारी नहीं होती है। हम आपको यह भी याद दिला दें कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने इस साल जनवरी में संविधान के मूल ढांचे के सिद्धांत को ध्रुवतारा के समान करार दिया था, जो आगे का मार्ग जटिल होने पर मार्गदर्शन करता है और संविधान की व्याख्या तथा कार्यान्वयन करने वालों को एक निश्चित दिशा दिखाता है।


रंजन गोगोई ने क्या कहा था?


दूसरी ओर, राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रंजन गोगोई के विस्तृत बयान का जिक्र करें तो आपको बता दें कि उन्होंने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा था कि दिल्ली सरकार में अधिकारियों के तबादलों और तैनाती से जुड़े अध्यादेश का स्थान लेने के लिए लाया गया विधेयक "पूरी तरह से वैध है।" साथ ही उन्होंने कहा था कि केशवानंद भारती मामले पर पूर्व सॉलिसिटर जनरल (टीआर) अंध्यारुजिना की एक किताब है। उन्होंने कहा था कि वह पुस्तक पढ़ने के बाद, मेरा विचार है कि संविधान के मूल ढांचे के सिद्धांत का एक चर्चा किए जाने योग्य न्यायशास्त्रीय आधार है। इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कहूंगा। हम आपको बता दें कि साल 1973 में केशवानंद भारती मामले में दिए ऐतिहासिक फैसले में शीर्ष अदालत ने संविधान के मूल ढांचे का सिद्धांत दिया था और कहा था कि लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, संघवाद और कानून के शासन जैसी कुछ मौलिक विशेषताओं में संसद संशोधन नहीं कर सकती है।

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सीजेआई चंद्रचूड़ ने क्या कहा?


राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई के बयान का जिक्र सुप्रीम कोर्ट में कैसे हुआ, यदि इसकी चर्चा करें तो आपको बता दें कि सोमवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन की ओर से शीर्ष अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने उच्च सदन में दिये न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के बयान का जिक्र किया। हम आपको बता दें कि मोहम्मद अकबर लोन ने जम्मू-कश्मीर को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत प्राप्त विशेष दर्जा को निरस्त किए जाने को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। सिब्बल ने दलील दी कि जिस तरह से केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा रद्द किया है वह किसी भी तरह से तब तक न्यायोचित नहीं है जब तक कि कोई नया न्यायशास्त्र नहीं लाया जाता, ताकि वे (केंद्र) अपने पास बहुमत रहने तक जो चाहें कर सकें। उन्होंने कहा, "अब आपके एक सम्मानित सहयोगी ने कहा है कि वास्तव में बुनियादी ढांचे का सिद्धांत भी संदिग्ध है।" सिब्बल की दलील पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ''श्री सिब्बल, जब आप किसी सहकर्मी का जिक्र करते हैं, तो आपको मौजूदा सहकर्मी का जिक्र करना होगा। जब हम न्यायाधीश के पद से हट जाते हैं तब हम जो भी कहते हैं, वे केवल राय होती है और बाध्यकारी नहीं होती है।"


दूसरी ओर, केंद्र की ओर से अनुच्छेद 370 के मामले पर अदालत में पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दखल देते हुए कहा कि संसद की कार्यवाही की चर्चा अदालत में नहीं की जा सकती है जैसे अदालत की कार्यवाही की चर्चा संसद में नहीं की जाती है। उन्होंने कहा, ''श्री सिब्बल यहां भाषण दे रहे हैं, क्योंकि वह कल संसद में नहीं थे। उन्हें संसद में जवाब देना चाहिए था।” हम आपको बता दें कि कपिल सिब्बल राज्यसभा के निर्दलीय सदस्य हैं।


कांग्रेस की प्रतिक्रिया


उधर, इस मुद्दे पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया की जहां तक बात है तो आपको बता दें कि कांग्रेस ने सांसद रंजन गोगोई द्वारा “संविधान के मूल ढांचे के न्यायशास्त्र पर सवाल उठाने” को ‘हैरान करने देने वाला’ करार दिया है। राज्यसभा में की गई रंजन गोगोई की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए, कांग्रेस महासचिव और संगठन प्रभारी केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यह हैरान करने वाला है कि एक पूर्व प्रधान न्यायाधीश संविधान की मूल ढांचे के न्यायशास्त्र पर सवाल उठाते हैं। कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि क्या भाजपा मानती है कि लोकतंत्र, समानता, धर्मनिरपेक्षता, संघवाद और न्यायिक स्वतंत्रता, सभी संदिग्ध विचार हैं। वेणुगोपाल ने ट्विटर पर कहा, “गोगोई का तर्क क्या है? क्या वह कह रहे हैं कि मूल ढांचे नाम की कोई चीज़ नहीं है जिसे संरक्षित किया जाना चाहिए?" वेणुगोपाल ने पूछा कि क्या सरकार इसका समर्थन करती है? वेणुगोपाल ने कहा, "उन्हें इस विचार का स्पष्ट रूप से विरोध करना चाहिए, अन्यथा यह स्पष्ट हो जाएगा कि भाजपा ने अब हमारे संविधान के मूल सिद्धांतों को नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।"

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