By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 18, 2019
नयी दिल्ली। गृह मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि नागरिकता (संशोधन) कानून मुसलमानों सहित किसी भारतीय नागरिक को प्रभावित नहीं करेगा और संविधान में दिए गये मौलिक अधिकारों का लाभ उन्हें मिलता रहेगा। मंत्रालय ने इस मुद्दे पर गलत सूचना फैलाए जाने के लिए चलाए जा रहे अभियान को रोकने की कोशिश के तहत यह कहा है। गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि इस कानून का किसी विदेशी के भारत में निर्वासन से कोई लेना देना नहीं है। इस बीच, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने मंगलवार को सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा कि नागरिकता (संशोधन) कानून किसी भारतीय के खिलाफ नहीं है और इस कानून को समझना तथा इस बारे में फैलाई जा रही गलत सूचना के खिलाफ जागरूक होना जरूरी है।
वहीं, इस विवादित कानून पर प्राय: पूछे जाने वाले प्रश्नों (एफएक्यू) के जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा, ‘‘गलत सूचना फैलाने के लिए एक अभियान चलाया जा रहा है। नागरिकता (संशोधन) कानून मुसलमान नागरिकों सहित किसी भारतीय नागरिक को प्रभावित नहीं करता है।’’ दरअसल, इस नये कानून के विरोध में पिछले कुछ दिनों से दिल्ली सहित देश के कुछ हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। एफएक्यू के जवाब गृह मंत्रालय ने जारी किए हैं। गृह मंत्रालय ने कहा कि नया कानून सिर्फ हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई धर्मावलंबी विदेशियों के लिए हैं, जो अपने धर्म को लेकर प्रताड़ना का सामना करने के चलते पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हैं। मंत्रालय ने कहा कि यह कानून इन तीन देशों सहित किसी अन्य देश से भारत आए मुसलमानों सहित अन्य विदेशियों पर लागू नहीं होगा। साथ ही, यह भी स्पष्ट किया कि इस नये कानून का किसी विदेशी के भारत में निर्वासन से कोई लेना देना नहीं है।
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गृह मंत्रालय ने कहा कि किसी विदेशी के निर्वासन की प्रक्रिया, चाहे उसका धर्म या देश कुछ भी हो, विदेशी नागरिक अधिनियम 1946 और पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम 1920 के मुताबिक क्रियान्वित की जाती है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘ये दोनों कानून सभी विदेशियों के भारत में प्रवेश एवं निकास, यहां ठहरने, देश में यहां-वहां आने-जाने को शासित करते हैं, भले ही उनका धर्म कुछ भी हो। इसलिए, सामान्य निर्वासन प्रक्रिया भारत में रह रहे किसी अवैध विदेशी पर लागू होगी।’’ यह जवाब इस सवाल पर दिया किया गया क्या इन देशों से आए मुसलमान आव्रजकों को नये कानून के तहत वापस भेजा जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि किसी विदेशी नागरिक का निर्वासन एक बखूबी विचारित न्यायिक प्रक्रिया है जो स्थानीय पुलिस या प्रशासनिक अधिकारियों की एक उचित जांच पर आधारित है, जिसके तहत इस तरह के अवैध विदेशियों का पता लगाया जाता है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘यह सुनिश्चित किया गया है कि इस तरह के अवैध विदेशी को उसके देश के दूतावास द्वारा उचित यात्रा दस्तावेज जारी किए गए हों ताकि जब उसे निर्वासित किया जाए तब उसके देश के अधिकारी उपयुक्त रूप से उसकी अगवानी कर सकें।’’