By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 09, 2019
नयी दिल्ली। देश में मुसलमानों के अहम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पेश करने पर सोमवार को आलोचना करते हुए इसे संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया।जमीयत ने राजनीतिक पार्टियों से अपील की कि वे लोकसभा में इस विधेयक के खिलाफ वोट दें।विवादित नागरिकता (संशोधन) विधेयक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के उन गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने की बात कहता है जो धार्मिक उत्पीड़न की वजह से वहां से भाग कर यहां आ गए हैं। इस विवादित विधेयक को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पेश किया जिस पर निचले सदन में चर्चा हो रही है।
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जमीयत महासचिव महमूद मदनी ने विधेयक को भारतीय संविधान की आत्मा के विरुद्ध बताया है। संगठन की ओर से जारी एक बयान में उनके हवाले से कहा गया है कि नागरिकता अधिनियम 1955 में प्रस्तावित संशोधन, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के विरुद्ध है। ये अनुच्छेद किसी नागरिक के विरुद्ध धर्म, जाति, लिंग,जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव की इजाजत नहीं देते हैं।उन्होंने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रस्तावित संशोधन को भारतीय संविधान के विपरीत मानते हुए उम्मीद करती है कि लोकसभा और राज्यसभा में इसको आवश्यक समर्थन प्राप्त नहीं होगा। मदनी ने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद, संविधान एवं सिद्धांतों का समर्थन करने वाली सभी राजनीतिक पार्टियों से अपील करती है कि वे इसके विरुद्ध अपना मत दें।