केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीएसआईआर-सीमैप) लखनऊ ने कोरोना वायरस प्रकोप के बीच सैनिटाइजर की बढ़ती मांग को देखते हुए अल्कोहल-आधारित हर्बल हैंड सैनिटाइजिंग जैल विकसित किया है। ‘हेंकूल प्लस’ नामक यह जैल विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा निर्देशों के अनुसार विकसित किया गया है।
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इस हर्बल सैनिटाइजर जैल में मेंथा आरवेन्सिस (मेंथॉल मिंट) के सुगंधित तेल का उपयोग किया गया है, जो विभिन्न रोगाणुओं के के खिलाफ प्रभावी पाया गया है। यह जैविक रूप से अपघटनीय, सुरक्षित और जलन न पैदा करनेवाला उत्पाद है। यह उत्पाद सुगंधित पौधों से बनाया गया है। इस जैल को सीमैप के वैज्ञानिक एम.पी. दारोकर, सुदीप टंडन, अनिर्बन पाल, शोऐब लुकमान, करुणा शंकर, पूजा खरे, दिनेश कुमार (सेवानिवृत्त) और सुधा अग्रवाल की टीम द्वारा विकसित किया गया है।
सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक डॉ प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने कहा है कि “हर्बल हैंड सैनिटाइजर जैल का वैज्ञानिक परीक्षण किया गया है और इसे रोगाणुओं के व्यापक स्पेक्ट्रम के खिलाफ बाजार में मौजूद अन्य उत्पादों के मुकाबले अधिक असरदार पाया गया है। यह बहुत प्रभावी है और त्वचा को डिहाइड्रशन (Dehydration) से भी बचाता है।”
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इस सैनिटाइजिंग जैल की तकनीक को लखनऊ स्थित कंपनी राको ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दिया गया है। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भास्कर ज्योति देउरी, प्रशासन नियंत्रक, सीएसआईआर-सीमैप और रजनीश सेठी, प्रबंध निदेशक, मेसर्स राको ग्रुप, लखनऊ द्वारा आज सीएसआईआर-सीमैप, लखनऊ में किया गया।
सीएसआईआर-सीमैप एक महीने तक कंपनी को रोजाना 1000 बोतल हर्बल सैनिटाइजर जैल के उत्पादन के लिए अपने पायलट प्लांट की सुविधा भी प्रदान करेगा। इस अवधि के बाद राको ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड लखनऊ देवा स्थित इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स में हर्बल सैनिटाइजर जैल का उत्पादन करेगा।
इंडिया साइंस वायर