भोपाल। कोरोना महामारी के इस दौर निजी अस्पतालों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है। ताजा मामला मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित कोविड उपचार के लिए चिंहिंत चिरायु अस्पताल का है, जहाँ राज्य सरकार की आयुष्मान कार्ड से उपचार की घोषणा के बाद भी अस्पताल प्रबंधन सरकार के आदेश की अवहेलना करता दिख रहा है। दरअसल प्रदेश की शिवराज सरकार कोरोना पीड़ितों के उपचार की व्यवथा में दिन रात लगी है, वहीं दूसरी तरफ निजी चिकित्सालय अपनी मन मर्जी करके सरकार की मंशा पर पानी फेरने का काम कर रहे हैं। जबकि मध्य प्रदेश सरकार कोविड चिंहित अस्पताल चिरायु को मरीजों के इलाज के लिए लगभग 70 करोड़ की मोटी राशि दे चुका है।
दरआसल पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बीना दौरे के दौरान कोविड हॉस्पिटल की व्यवस्था दिखाने के लिए चिरायु अस्पताल के संचालक डॉक्टर गोयनका को भी अपने साथ ले गए थे। वही डॉक्टर अजय गोयनका अब राज्य सरकार के आदेश की अवहेलना कर रहे हैं। यही नहीं सरकार डॉक्टर गोयनका के सामने बेबस और लाचार दिखाई दे रही है। वही मरीजों के परिजनों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के उपचार की आड़ में मध्य प्रदेश सरकार ने राजधानी के चिरायु हॉस्पिटल के मालिक डॉक्टर अजय गोयनका को लूट की खुली छूट दे रखी है। यही वजह है कि डॉक्टर गोयनका के खिलाफ शासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती। एक के बाद एक कई मामले सामने आने के बाद भी सरकार में बैठे जिम्मेदारों को चिरायु का नाम सुनते ही सांप सूंघ जाता है।
ऐसा ही एक मामला और सामने आया है जिसमे योगेश बलवानी नामक व्यक्ति ने 19 अप्रैल, 2021 को अपनी माँ को कोरोना का इलाज कराने के लिए चिरायु हॉस्पिटल में भर्ती किया था। मरीज के पास आयुष्मान भारत योजना का कार्ड भी है, इसके बाद भी हॉस्पिटल प्रबंधन ने उपचार के लिए 3 लाख रुपये जमा करवा लिए वही उपचार के दौरान बीते शुक्रवार को जब मरीज के बेटे योगेश बलवानी ने हॉस्पिटल प्रबंधन से कहा कि उनके पास आयुष्मान भारत योजना का कार्ड है तो मैनेजर गौरव बजाज ने साफ इनकार कर दिया।
योगेश ने बताया कि वही अस्पताल के मैनेजर ने कहा कि हमें ऊपर के आदेश हैं, आयुष्मान भारत योजना के तहत उपचार नहीं करेंगे,जो करना हो कर लो। इतना कहकर गौरव बजाज गार्ड से कहते हैं कि इस आदमी को बाहर कर दो। इतना ही नहीं इस बारे में जब योगेश ने डॉक्टर गोयनका से बात की तो उन्होंने भी धुत्कारते हुए कहा कि तुझे सीएम के पास शिकायत करना है कर दे, कलेक्टर के पास शिकायत करना है कर दे, हम आयुष्मान भारत योजना के तहत उपचार नहीं करेंगे ?
योगेश ने बताया कि शनिवार की शाम को उपचार के दौरान उनकी माँ की की मौत हो गई, इसके बाद भी हॉस्पिटल प्रबंधन 3 लाख रुपये और जमा कराने का दबाव बना रहा है। वही रुपये जमा नहीं कर पाने के कारण हॉस्पिटल ने मरीज के डिस्चार्ज पेपर और डेथ सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया है। इस मामले में जब आयुष्मान भारत योजना की जिला समन्वयक प्रतिभा अहिरवार से बात की तो उन्होंने कहा कि इस बारे में मैं कुछ नहीं बोल सकती। आप सीईओ साहब विश्वनाथन जी बात करिए वही आपको वर्शन दे पाएंगे। इसके बाद जब एस विश्वनाथ से फोन पर सम्पर्क करना चाहा तो उन्होंने भी फोन कॉल का जवाब नहीं दिया। वही फरियादी का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है जिसमें मरीज के परिजन को चिरायु अस्पताल का एक कर्चमारी धमकाते हुए दिख रहा है, इसके बाद भी मरीज को अभी तक शासन से कोई राहत नहीं मिली है। वही मामला सामने आने के बाद विपक्ष हमलावर हो गया है। कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने इस मामले पर राज्य सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार कोरोना इलाज के नाम पर जनता से झूठ बोलना बंद करे।